निषेध अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की विचारणीयता पर आदेश सुरक्षित

By भाषा | Published: June 23, 2021 06:14 PM2021-06-23T18:14:00+5:302021-06-23T18:14:00+5:30

Order reserved on maintainability of petitions challenging the provisions of the Prohibition Act | निषेध अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की विचारणीयता पर आदेश सुरक्षित

निषेध अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की विचारणीयता पर आदेश सुरक्षित

अहमदाबाद, 23 जून गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य के निषेध अधिनियम के प्रावधानों को संविधान में निहित गोपनीयता, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नागरिकों के अधिकारों के विपरीत बताकर चुनौती देने वाली याचिकाओं की विचारणीयता के मुद्दे पर अपना आदेश बुधवार को सुरक्षित रख लिया।

मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बिरेन वैष्णव की खंड पीठ ने गुजरात निषेध कानून, 1949 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की विचरणीयता पर सुनवाई को लेकर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया जब महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने दलील दी कि, “अदालत को किसी कानून या किसी नए कानून या अतिरिक्त आधार की वैधता की जांच करने की अनुमति नहीं है, जब इसे शीर्ष अदालत ने अतीत में बरकरार रखा है।”

अपनी दलील में त्रिवेदी ने कहा कि किसी कानून जिसे उच्चतम न्यायालय ने आज वैध बनाया है उसे कल अवैध ठहराया जा सकता है, “लेकिन उसके लिए उचित मंच उच्चतम न्यायालय है न कि यह अदालत।”

उच्चतम न्यायालय ने इस कानून को अपने 1951 के फैसले में बरकरार रखा था।

त्रिवेदी ने तर्क दिया, “निजता के अधिकार की यह अवधारणा बेपरवाह तरीके से तबाही करने जैसी नहीं हो सकती। यह सामाजिक वातावरण पर आधारित तर्कसंगत प्रतिबंधों के अधीन है।” साथ ही उन्होंने कहा कि घर की चारदीवारी के भीतर मांसाहारी भोजन खाने की शराब पीने के अधिकार से तुलना नहीं की जा सकती जो कि नुकसानदेह है और रोका जा सकता है।

उन्होंने कहा, “ नहीं तो कल को कोई कहेगा कि आप मुझे कुछ नहीं कह सकते क्योंकि मैं अपने घर के भीतर नशीली दवाएं ले रहा हूं।”

अपनी दलील में, अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रकाश जानी ने कहा कि, “गुजरात के लोग इस निषेध कानून से बहुत खुश हैं।

वहीं, याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि मामले को गुण-दोष के आधार पर सुना जाना चाहिए क्योंकि याचिकाओं में जिन प्रावधानों को चुनौती दी गई है, वे 1951 के प्रावधानों से, भिन्न हैं, क्योंकि उनमें इस दौरान संशोधन किया गया है।

कई याचिकाओं में गुजरात निषेध कानून, 1949 की विभिन्न धाराओं को चुनौती दी गई है। इनमें धारा 12 और 13 (शराब के उत्पादन, खरीद, आयात, परिवहन, निर्यात, बिक्री, रखने, प्रयोग एवं उपभोग पर पूर्ण प्रतिबंध है) भी शामिल है और इन्हें संविधान के अनुच्छेद 246 के अधिकातीत के तौर पर यानी अवैध घोषित करने का अनुरोध किया गया है।

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Web Title: Order reserved on maintainability of petitions challenging the provisions of the Prohibition Act

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