पटनाः कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच कोविड-19 को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर पर लगाए गए डॉक्टर, वेंटिलेटर और नर्सों के मामले पर तेजस्वी यादव ने सवाल खड़े किए थे, जिसके बाद फैलसा मंगलवार की रात वापस ले लिया गया है। प्रदेश में संक्रमित हुए लोगों की संख्या मंगलवार को बढ़कर 12525 हो गई।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, 'पटना मेडिकल कॉलेज ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आधिकारिक आवास पर छह डॉक्टरों, तीन नर्सों और एक वेंटिलेटर की तैनाती के आदेश को वापस ले लिया है।' उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक भतीजी और उनके आवास की सुरक्षा में तैनात एक पुलिस अधिकारी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार में हालात विधानसभा चुनाव कराने लायक नहीं है। बाकी बात चुनाव आयोग देखेगा। जांच बिल्कुल नहीं हो रही है। मुख्यमंत्री की जांच की रिपोर्ट 2 घंटे में आ जाती है। जब खुद पर आपदा आती है तो अपने घर में डॉक्टर भी है, वेंटिलेटर भी और नर्सें भी। CM के आवास पर 6 डॉक्टर, 3 नर्सें और वेंटिलेटर भी है।
बिहार बीजेपी नेता गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव ने कोई काम नहीं किया। खाली CM (बिहार) पर उंगली उठा रहे हैं। ये कहना कि 2 घंटे में CM की टेस्ट रिपोर्ट आ जाती है गलत है। एक रिपोर्ट आने में कम से कम 6 घंटे तक लगते हैं। बिहार की जितनी क्षमता है उतने टेस्ट किए जा रहे हैं।
बिहार में कोरोना से अब तक 98 की मौत
बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमण के कारण पिछले 24 घंटों के दौरान एक और व्यक्ति की मौत हो जाने से इस रोग से मरने वालों की संख्या 98 हो गयी। वहीं राज्य में संक्रमित हुए लोगों की संख्या मंगलवार को बढकर 12525 हो गई। कोरोना वायरस संक्रमण से पिछले 24 घंटे के दौरान कैमूर जिले में एक व्यक्ति की मौत हो गई। बिहार के पटना जिले में अब तक 12 मरीजों की मौत हो चुकी है जबकि दरभंगा में 07, समस्तीपुर में 06, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पूर्वी चंपारण, रोहतास एवं सारण में 05-05, बेगूसराय में 04, भोजपुर, गया, जहानाबाद, खगडिया, नवादा, सीतामढी एवं वैशाली में 03-03 मरीजों की मौत हुई है।
बिहार की स्वास्थ्य सुविधाओं में हालत
स्वास्थ्य सेवा में बिहार सबसे निचले स्तर पर है। बिहार में 2005 में कुल 101 पीएचसी थे, लेकिन आज 15 साल में 49 केंद्र स्थापित किए ग। एक साल में मात्र तीन बना। लेकिन, दो साल के अंदर कोई भी पीएचसी की स्थापना नहीं की है। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग और नीति आयोग की है। बिहार में शिशु मृत्युदर में एक हजार बच्चों पर 42 है।