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कृषि सुधारों के खिलाफ प्रदर्शन को विपक्ष का समर्थन उसके शर्मनाक दोहरे मापदंडों को उजागर करता है: भाजपा

By भाषा | Updated: December 7, 2020 20:20 IST

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नयी दिल्ली, सात दिसंबर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू किये गए कृषि सुधारों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन पर विपक्षी दलों की लामबंदी को भाजपा ने अपने विरोधियों का “शर्मनाक दोहरा मापदंड” बताते हुए उसकी आलोचना की और दावा किया कि नए कानून के कई प्रावधानों का कभी कांग्रेस और राकांपा जैसे दलों ने समर्थन किया था।

प्रदर्शनकारी किसान संगठनों द्वारा मंगलवार को बुलाए गए ‘भारत बंद’ का विपक्षी दलों द्वारा समर्थन किया जा रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अपना अस्तित्व बचाने के लिये भाजपा के विरोधी दल किसानों के प्रदर्शन में कूद पड़े हैं जबकि विभिन्न चुनावों में देश की जनता उन्हें बार-बार खारिज कर चुकी है।

प्रसाद ने आरोप लगाया कि किसानों का एक वर्ग “निहित स्वार्थ” वाले कुछ लोगों के चंगुल में है और सरकार सुधारों को लेकर उनके बीच फैलाये गए भ्रम को दूर करने पर काम कर रही है। किसानों का एक वर्ग, विशेष रूप से पंजाब के किसान इन नए कृषि कानूनों को लेकर सख्त विरोध में है।

भाजपा नेता ने राजनीतिक दलों को अपने प्रदर्शन से नहीं जुड़ने देने के लिये कृषक संघों की सराहना भी की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों के लिये कांग्रेस के घोषणा-पत्र में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम को रद्द करने और कृषि-व्यापार को सभी पाबंदियों से मुक्त करने का वादा था।

प्रसाद ने कहा, “राहुल गांधी ने 2013 में सभी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया था कि वे फलों व सब्जियों को एपीएमसी की सूची से हटाएं और उन्हें सीधे खुले बाजार में बेचने की इजाजत दें।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कृषि क्षेत्र में निजी सेक्टर की ज्यादा भागीदारी की वकालत की थी और ऐसा करने के लिये उपयुक्त नियामक व नीतिगत बदलाव की जरूरत को उजागर किया था।

प्रसाद ने कहा, “शरद पवार ने 2005 के एक साक्षात्कार में कहा था कि एपीएमसी अधिनियम छह महीनों में रद्द कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक राज्य अधिनियम में संशोधन और खेतों में निजी क्षेत्र को प्रवेश की इजाजत नहीं देंगे तब तक राज्यों को केंद्र से वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राकांपा ने कभी जिस बात का आह्वाहन किया था मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कानून से उसका मार्ग प्रशस्त हुआ है।

भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा, “वे सत्ता में रहने के दौरान जो करने के लिये काम कर रहे थे अब उसका विरोध कर रहे हैं। यह उनके शर्मनाक दोहरे मापदंड को उजागर करता है। यह सिर्फ विरोध जताने के लिये विरोध है।”

भाजपा नेता ने कहा कि संप्रग के सत्ता में रहने के दौरान तत्कालीन योजना आयोग (अब नीति आयोग) ने अंतरराज्यीय कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य नियमन अधिनियम की सिफारिश की थी।

प्रसाद ने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान ठेका खेती की भी सिफारिश की गई थी और कई राज्य सरकारों ने अपने यहां ठेका खेती को लागू भी किया था।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आप सरकार ने नवंबर में नए कृषि कानून को अधिसूचित किया था लेकिन अब उसका विरोध कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि मंडियों की व्यवस्था को जारी रखने की सरकार की प्रतिबद्धता एक बार फिर दोहराई।

केंद्र के नए कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग को लेकर बीते 11 दिनों से दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे कृषक संघों द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ का रविवार को कई क्षेत्रीय दलों समेत विपक्षी दलों ने समर्थन करने का ऐलान किया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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