पीएम मोदी से दो-दो हाथ करने को विपक्ष लामबंद, देशभर में CAA, NRC, NPR का होगा खुला विरोध
By शीलेष शर्मा | Published: January 13, 2020 08:22 PM2020-01-13T20:22:16+5:302020-01-13T20:22:16+5:30
कांग्रेस अध्यक्ष ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित देश के तमाम दूसरे विश्वविद्यालयों में छात्रों पर मोदी सरकार की दमनकारी नीतियों की भी कड़ी आलोचना की.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों की बैठक में मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार समाज में नफरत फैलाकर लोगों को बांटने का काम कर रही है. वह धार्मिक आधार पर लोगों को बांटना चाहती है इसीलिए सीएए, एनआरसी और एनपीआर जैसे हथकंडे अपना रही है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित देश के तमाम दूसरे विश्वविद्यालयों में छात्रों पर मोदी सरकार की दमनकारी नीतियों की भी कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि पुलिस बल की मदद से देश के छात्रों की आवाज को दबाया जा रहा है, प्रदर्शनकारियों की बात सुनने की जगह यह सरकार हिंसा का रास्ता अपना रही है.
सोनिया ने देश की रसातल में जाती अर्थव्यवस्था पर भी सवाल उठाया और कहा कि कोई ठोस उपाय करने की जगह मोदी सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे को छोड़कर लोगों को बांटने में जुटी है.
बैठक के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आर्थिक और रोजगार के क्षेत्र में मोदी सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है. सरकार द्वारा प्रयोग की जा रही हिंसा के कारण पूरे देश में भय का माहौल है. युवाओं और छात्रों की आवाज को दबाया जा रहा है, यह प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है कि वह बताए कि युवाओं को रोजगार कैसे मिलेगा, अर्थव्यवस्था कैसे सुधरेगी? इन ज्वलंत मुद्दों पर मोदी सरकार को जवाब देना होगा और यदि वह जवाब नहीं देती है तो समूचा विपक्ष सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर करेगा.
बीस दलों के नेताओं ने आज की बैठक में हिस्सा लिया जिसमें सीएए, एनपीआर और एनआरसी सहित देश के तमाम दूसरे ज्वलंत मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई.
विपक्षी एकता दिखाने के लिए जो बैठक सोनिया के आवहन पर बुलाई गई उसमें तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा और शिवसेना का कोई नेता मौजूद नहीं था. डीएमके ने पहले ही कांग्रेस नेतृत्व को सूचित कर दिया था कि वह विशेष कारणों से बैठक में शामिल नहीं ले पा रही है लेकिन उसका समर्थन विपक्षी दलों के साथ है. आम आदमी पार्टी को राजधानी दिल्ली में चुनाव होने के कारण कांग्रेस ने पहले ही आमंत्रित न करने का फैसला लिया था.
सूत्रों से मिली खबरों के अऩुासर बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने बारी बारी से अपनी बात रखी और सबकी राय कि नापाक इरादों से यह सरकार धर्म को आधार बनाकर समाज को बांटने में जुटी है. इन नेताओं का यह भी मानना था कि नागरिक संशोधन कानून जिसे पारित किया गया है वह पूरी तरह भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी है. बैठक में जिन नेताओं ने हिस्सा लिया उनमें कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी राहुल गाँधी मनमोहन सिंह, गुनाम नबी आजाद, ए के एंटोनी, अहमद पटेल, के सी वेणुगोपाल.
एनसीपी की ओर से शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, सीपीएम के सीताराम येचुरी, जेएमएम के हेमंत सोरेन, आरजेडी के मनोज झा, सीपीआई के डी राजा, एलजेडी के शरद यादव, आईयूएमएल के पी के किनहालकुट्टी, आरएसपी के शत्रुजीत सिंह, केसीएम के थॉमस, एआईयूडीएफ के शिराजुद्दीन अजमल, नेश्नल कांफ्रेंस के जस्टिस हसनैन मसूदी, पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज, जेडीएस के डी के रेड्डी मौजूद थे. बैठक में एक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें 23,26 और 30 जनवरी को देश के लोगों से महत्वपूर्ण दिनों में जो रस्मअदायगी की गई उसकी पुनरावृत्ती करने का आवहन किया गया.