RCEP समझौते के खिलाफ विपक्ष करेगा देशव्यापी आंदोलन, जानिए क्या है पूरा विवाद
By शीलेष शर्मा | Published: October 26, 2019 06:10 AM2019-10-26T06:10:47+5:302019-10-26T06:10:47+5:30
प्रधानमंत्री मोदी अपनी प्रस्तावित बैंकॉक यात्रा के दौरान आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे है, यह समझौता उस समय किया जा रहा है जब देश गहरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. 16 देशों के बीच होने वाला यह समझौता चीन के उत्पादों के भारत में बेतहाशा आयात का रास्ता खोल देगा जिसका नतीजा होगा कि देसी सामान सिमटता जाएगा, और चीनी माल देश के उत्पादों पर हावी हो जाएगा.
अमूल डेरी के प्रबंध निदेशक आर.एस.सोढ़ी के 22 जुलाई के पत्र जो वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नाम लिखा गया ने राजनीतिक हलकों में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है. दरअसल, इस खत में अमूल ने सरकार को सचेत किया है कि अगर उसने आरसीईपी पर हस्ताक्षर किए तो देश में डेरी का उद्योग मरणासन्न हो जाएगा और विदेशी उत्पाद देश पर हावी हो जाएंगे.
अपने दस पेजों के पत्र में अमूल ने वह आंकड़े भी पेश किए हैं जिससे जाहिर होता है कि न्यूजीलैंड से दूध, आस्ट्रेलिया से गेंहू और चीन से आयात होने वाले उत्पादों का गंभीर असर भारतीय उद्योग पर पड़ेगा जिसकी कोई भरपाई संभव नहीं है. कांग्रेस सहित अधिकांश विपक्षी दलों ने इस मुद्दे का संज्ञान लेते हुए देशभर में एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने का फैसला किया है.
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी अपनी प्रस्तावित बैंकॉक यात्रा के दौरान आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे है, यह समझौता उस समय किया जा रहा है जब देश गहरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. 16 देशों के बीच होने वाला यह समझौता चीन के उत्पादों के भारत में बेतहाशा आयात का रास्ता खोल देगा जिसका नतीजा होगा कि देसी सामान सिमटता जाएगा, और चीनी माल देश के उत्पादों पर हावी हो जाएगा.
कांग्रेस ने मोदी को याद दिलाया कि मेक इन इंडिया की बात करने वाले मोदी आज अचानक चीन और दूसरे देशों के लिए भारत के दरवाजे खोलने के लिए आखिर इतने उतावले क्यों है. क्या उन्हें इस बात का इलम नहीं कि देश की अर्थव्यवस्था संकट में फंस चुकी है, बेरोजगारी चरम पर है और किसान त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहा है.
कांग्रेस के बड़े नेता ए.के. एंटोनी और जयराम रमेश से आरसीईपी का विरोध करते हुए साफ किया कि इस समझौते पर हस्ताक्षर करने का अर्थ है कि आयात का उदारीकरण. जिसका सीधा मतलब होगा आत्महत्या करना.
इन नेताओं ने सरकार के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि डाटा पर सरकार नियंत्रण रखेगी, यह ऐसा ही फैसला होगा जैसे मोदी सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी का फैसला किया. व्यापार घाटा 120 मिलियन अमेरिकी डॉलर है इस समझौते के बाद देश के लोगों की जिन्दगी का क्या होगा, उसकी आम जरुरतें कैसे पूरी होगीं यह एक गंभीर सवाल है.
राष्ट्रीय और सुरक्षा दो मुद्दों को लेकर चर्चा हुई थी लेकिन मोदी सरकार ने जिस प्रारूप को मंजूरी दी है उसमें राष्ट्रीय हितों को निकाल दिया है. इसके विरोध में कांग्रेस ने अन्य दलों के साथ मिलकर जिलेवार पांच से 15 नवंबर के बीच आंदोलन चलाने का फैसला किया है जिसको आज सोनिया गांधी की मौजूदगी में हुई बैठक में मंजूर किया गया.