लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के सदमे से विपक्षी पार्टियां अभी तक उबर नहीं पाई हैं. इसके चलते विपक्षी गठबंधन में जहां टूट के संकेत मिल रहे हैं. वहीं, अधिकतर पार्टियों में आपसी मतभेद और इस्तीफों का दौर देखने को मिल रहा है. अधिकतर गैर राजग दलों के अंदर गहमागहमी बढ़ती जा रही है, क्योंकि नेता एवं कार्यकर्ता अशांत और तनावग्रस्त नजर आ रहे हैं. महागठबंधन बना सबसे बड़ा शिकार बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन तोड़ते हुए हार के लिए निष्प्रभावी सपा पर आरोप लगाया.
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने वस्तुत: स्वीकार किया कि प्रयोग असफल रहा. कर्नाटक में भी फूट कर्नाटक में जनता दल (एस) भी इस तपिश को महसूस कर रहा है, क्योंकि कांग्रेस और जनता दल (एस) के दावों के बावजूद प्रदेश प्रमुख ए. एच. विश्वनाथ सत्तारूढ़ गठबंधन में संकट का हवाला देकर पार्टी छोड़ रहे हैं. खतरे में ममता का सिंहासन पश्चिम बंगाल में भी लोकसभा चुनाव के नतीजे उत्प्रेरक का काम कर रहे हैं.
टीएमसी के कई नेता पाला बदल चुके हैं और कई बदलने वाले हैं. राजस्थान, मप्र में भी हलचल राजस्थान में भी कांग्रेस इकाई के अंदर अशांति देखी जा रही है. हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. कुछ इसी तरह की खबरें मध्य प्रदेश से आ रही हैं.
मध्य प्रदेश में बसपा और निर्दलियों के समर्थन से कांग्रेस सरकार चला रही है. यहां भी उठापटक गुजरात में कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भाजपा खेमे में जाने की अटकलें तेज हैं. हरियाणा में हाल में प्रदेश समन्वय समिति की बैठक के दौरान नेताओं ने एक-दूसरे पर उंगलियां उठाईं. वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के विधायक पद से इस्तीफे के बाद से महाराष्ट्र कांग्रेस के अंदर भी अनबन की खबरें आ रही हैं.