आर्मी चीफ बिपिन रावत पर विपक्षी दलों का हमला, चिदंबरम ने कहा- सेना प्रमुख को ‘अपने काम से मतलब रखना चाहिए’

By भाषा | Updated: December 29, 2019 06:00 IST2019-12-29T06:00:36+5:302019-12-29T06:00:36+5:30

सेना प्रमुख की टिप्पणी पर विवाद उत्पन्न होने पर सेना ने एक स्पष्टीकरण जारी किया और कहा कि सेना प्रमुख ने सीएए का उल्लेख नहीं किया है। सेना ने बयान में कहा, ‘‘उन्होंने किसी राजनीतिक कार्यक्रम, व्यक्ति का उल्लेख नहीं किया है। वह भारत के भविष्य के नागरिकों को संबोधित कर रहे थे, जो छात्र हैं।

Opposition parties attack Army Chief Bipin Rawat, Chidambaram said - Army Chief 'should be mean by his work' | आर्मी चीफ बिपिन रावत पर विपक्षी दलों का हमला, चिदंबरम ने कहा- सेना प्रमुख को ‘अपने काम से मतलब रखना चाहिए’

आर्मी चीफ बिपिन रावत पर विपक्षी दलों का हमला, चिदंबरम ने कहा- सेना प्रमुख को ‘अपने काम से मतलब रखना चाहिए’

Highlightsयेचुरी ने ‘‘घरेलू राजनीति’’ पर रावत की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा ‘‘स्वतंत्र भारत में पहली बार’’ हुआ है। माकपा महासचिव ने कहा, ‘‘हालांकि मंत्रियों, सरकार ने (समाचार) पत्रों में बयान दिए हैं कि हमारे सेना प्रमुख ने कुछ भी गलत नहीं किया है और (घरेलू मुद्दों में) हस्तक्षेप नहीं किया है।’

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले लोगों की आलोचना करने के लिए सेनाप्रमुख जनरल बिपिन रावत पर विपक्षी दलों की ओर से शनिवार को भी निशाना साधा गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि नेताओं को क्या करना चाहिए, यह बताना सेना का काम नहीं है और जनरल को ‘‘अपने काम से मतलब रखना चाहिए।’’

रावत पर उनकी टिप्पणी के लिए निशाना साधते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि यह सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण है। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि ‘‘खतरनाक प्रवृत्ति’’ जारी रही तो यह ‘‘पाकिस्तान में सेना की भूमिका’’ की तरह होगा। दोनों नेता रावत की बृहस्पतिवार को एक स्वास्थ्य सम्मेलन में की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।

सेना प्रमुख ने कहा था, ‘‘नेता वे नहीं हैं जो अनुचित दिशाओं में लोगों का नेतृत्व करते हैं, जैसा कि हम बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय और कॉलेज छात्रों को देख रहे हैं, जिस तरह वे शहरों और कस्बों में आगजनी और हिंसा करने में भीड़ की अगुवाई कर रहे हैं। यह नेतृत्व नहीं है।’’

सेना प्रमुख की टिप्पणी पर विवाद उत्पन्न होने पर सेना ने एक स्पष्टीकरण जारी किया और कहा कि सेना प्रमुख ने सीएए का उल्लेख नहीं किया है। सेना ने बयान में कहा, ‘‘उन्होंने किसी राजनीतिक कार्यक्रम, व्यक्ति का उल्लेख नहीं किया है। वह भारत के भविष्य के नागरिकों को संबोधित कर रहे थे, जो छात्र हैं। छात्रों का मार्गदर्शन करना (उनका) सही कर्तव्य है जिन पर राष्ट्र का भविष्य निर्भर करेगा। कश्मीर घाटी में युवाओं को पहले उन लोगों द्वारा गुमराह किया गया था, जिनपर उन्होंने नेताओं के रूप में भरोसा किया था।’’ हालांकि, चिदंबरम ने रावत की टिप्पणी की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘अब सेना के जनरल को बोलने के लिए कहा जा रहा है। क्या यह सेना के जनरल का काम है?

डीजीपी... सेना के जनरल को सरकार का समर्थन करने के लिए कहा जा रहा है। यह शर्म की बात है। मैं जनरल रावत से अपील करना चाहता हूं...‘‘आप सेना का नेतृत्व करते हैं और आपको अपने काम से मतलब रखना चाहिए... नेताओं को जो करना है, वे करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सेना का काम नहीं है कि हम नेताओं को बताएं कि हमें क्या करना चाहिए। जैसा कि यह बताना हमारा काम नहीं कि आपको युद्ध कैसे लड़ना है। आप अपने विचारों से युद्ध लड़ते हैं और हम देश की राजनीति देखेंगे।’’ वह नये कानून के खिलाफ तिरुवनंतपुरम में राजभवन के सामने केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित एक रैली में बोल रहे थे।

येचुरी ने ‘‘घरेलू राजनीति’’ पर रावत की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा ‘‘स्वतंत्र भारत में पहली बार’’ हुआ है। उन्होंने हैदराबाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह सशस्त्र बलों (में) हो रहा राजनीतिकरण है। एक खतरनाक प्रवृत्ति .. यदि यह जारी रही तो हमारी स्थिति भी बिगड़ जाएगी, पाकिस्तान में सेना की भूमिका की तरह।’’ उन्होंने कहा कि देश और संविधान के लिए ‘‘चेतावनी’’ पर विचार करना जरूरी है। उन्होंने सरकार से इसे ध्यान में रखने की अपील की।

माकपा महासचिव ने कहा, ‘‘हालांकि मंत्रियों, सरकार ने (समाचार) पत्रों में बयान दिए हैं कि हमारे सेना प्रमुख ने कुछ भी गलत नहीं किया है और (घरेलू मुद्दों में) हस्तक्षेप नहीं किया है।’’ जनरल बिपिन रावत की टिप्पणी पर विपक्षी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पूर्व सैन्यकर्मियों ने कड़ी प्रतिक्रिया जतायी है, जिन्होंने उन पर राजनीतिक टिप्पणी करने और ऐसा करके राजनीतिक मामलों में नहीं पड़ने की सेना में लंबे समय से कायम परंपरा से समझौता करने का आरोप लगाया है। जनरल रावत 31 दिसम्बर को सेना प्रमुख पद से सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उन्हें देश का पहला चीफ आफ डिफेंस स्टाफ बनाये जाने की संभावना है। पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास ने जनरल रावत के बयान को ‘गलत’ बताया।

उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल के लोगों को राजनीतिक ताकतों के बजाय देश की सेवा करने के दशकों पुराने सिद्धांत का पालन करना चाहिए। रामदास ने कहा था, ‘‘नियम बहुत स्पष्ट है कि हम देश की सेवा करते हैं, न कि राजनीतिक ताकतों की और कोई राजनीतिक विचार व्यक्त करना जैसा कि हमने आज सुना है...किसी भी सेवारत कर्मी के लिए गलत बात है, चाहे वह शीर्ष पद पर हो या निचले स्तर पर।’’ सैन्य कानून की धारा 21 के तहत सैन्यकर्मियों के किसी भी राजनीतिक या अन्य मकसद से किसी के भी द्वारा आयोजित प्रदर्शन या बैठक में हिस्सा लेने पर पाबंदी है। इसमें राजनीतिक विषय पर प्रेस से संवाद करने या राजनीतिक विषय से जुड़ी किताबों के प्रकाशन कराने पर भी मनाही है।’’ 

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