मध्य प्रदेश में 'ऑपरेशन कमल' से परेशान कांग्रेस अब झारखंड में भी अपने विधायकों पर रखने लगी है पैनी नजर!
By एस पी सिन्हा | Published: March 11, 2020 05:06 PM2020-03-11T17:06:59+5:302020-03-11T17:06:59+5:30
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि मेरी हर गतिविधि पर नजर है. उन्होंने मध्यप्रदेश के सियासी संकट को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा सामने आ चुका है.
रांची: मध्य प्रदेश में 'ऑपरेशन कमल' से परेशान अब झारखंड में भी कांग्रेस के विधायकों पर पैनी नजर रखी जा रही है. चर्चा है कि मध्यप्रदेश के राजनीतिक गतिविधी से अब झारखंड में भी सुगबुगाहट तेज हो गई है. हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने मध्यप्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर कहा है कि भाजपा सिर्फ दिखावे के लिए राजनीतिक शुचिता की बात करती है. उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि झारखंड में ऐसी कोशिश करेंगे तो दूसरा ही दृश्य दिखेगा.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि मेरी हर गतिविधि पर नजर है. उन्होंने मध्यप्रदेश के सियासी संकट को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा सामने आ चुका है. लेकिन झारखंड में ऐसा नहीं चलने वाला है. इस तरह के कई उदाहरण देश की राजनीति में पहले भी मिले हैं. लेकिन हर बार इसके केन्द्र में भाजपा ही रही है. सियासत में सुचिता की बात करने वाली पार्टी ने राजनीति के स्तर को गिरा दिया है. उधर झारखंड में कांग्रेस के विधायकों पर नजर रखने का आलाकमान का फरमान जारी हुआ है. अभी राज्य में कांग्रेस के सहयोग से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार चल रही है. ऐसे में मंत्री नहीं बन पाए कांग्रेस विधायक नाराज बताए जाते हैं.
फिलहाल ऐसे विधायक खुलकर सामने आने से कतरा रहे हैं. लेकिन दलबदल के लिए बदनाम झारखंड में कब कौन पाला बदल दे कहना मुश्किल है. झारखंड के हालिया दिनों के राजनीतिक घटनाक्रम को देखें तो विधानसभा चुनाव में झामुमो, कांग्रेस और राजद के महागठबंधन की जीत के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी है. इसमें कांग्रेस के कुल 4 मंत्री शामिल हैं. इन चार मंत्रियों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता, बादल और आलमगीर आलम शुमार हैं. जबकि कई विधायकों को मंत्री का पद हासिल नहीं हो सका.
इधर, हाल के दिनों में झाविमो के 2 विधायकों प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के कांग्रेस में शामिल होने के बाद झारखंड का सियासी माहौल गर्म है. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने प्रदीप यादव के कांग्रेस में शामिल होने का खुलकर विरोध किया है. कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर इरफान अंसारी ने इस्तीफा देने तक की पेशकश कर दी थी. इसके बाद राज्यसभा चुनाव में फुरकान अंसारी को उम्मीदवार नहीं बनाए जाने को लेकर भी राजनीतिक तापमान बढा हुआ है. इस बारे में इरफान अंसारी ने मीडिया में खुलकर कहा है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के समय ही फुरकान अंसारी को राज्यसभा में भेजने का वादा किया था. हालांकि, झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह ने ऐसे किसी भी तरह के कमिटमेंट से साफ इन्कार किया है. यहां बता दें कि राज्यसभा के लिए झारखंड से 2 सीटें खाली हो रही है. इस पर 26 मार्च को चुनाव होना है. एक सीट पर झामुमो ने पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन को उम्मीदवार बनाया है, जबकि दूसरी सीट के लिए कांग्रेस की ओर से अभी तक किसी भी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की गई है. बताया जाता है कि प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह खुद ही झारखंड से राज्यसभा चुनाव लडने के इच्छुक हैं.
लेकिन ताजा घटनाक्रम को देखें तो यह जाहिर हो रहा है कि कांग्रेस में अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. अब मध्य प्रदेश के सियासी तूफान से झारखंड में भी बवंडर आने के संकेत मिल रहे हैं. मध्य प्रदेश के उठापटक के बीच कांग्रेस आलाकमान की ओर से ऐसे नाराज विधायकों पर पैनी नजर रखने को कहा गया है. पार्टी के स्तर पर इनकी निगहबानी शुरू कर दी गई है. झारखंड में भी महागठबंधन की सरकार है. हेमंत सरकार में पद नहीं मिलने से कांग्रेस के कुछ नेता असंतुष्ट बताए जा रहे हैं. ऐसे में अब यहां भी कांग्रेस संशकित है कि कहीं भाजपा यहां भी सेंधमारी न कर दे. इसके चलते सभी विधायकों पर विशेष निगाह रखी जाने लगी है.