नई दिल्ली:कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि देश में लोकसभा चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार राज्यों का संघ और देश लोकतंत्र के लिए हमले के समान है।
राहुल गांध ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा, "इंडिया यानी भारत, राज्यों का एक संघ है। 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार सभी राज्यों के संघ और देश पर हमला है।"
केंद्र ने देश में एक साथ चुनाव कराने की जांच करने और सिफारिशें करने के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय समिति का गठन किया।समिति के सदस्यों में पूर्व राष्ट्रपति कोविंद, गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आज़ाद,पूर्व वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल थे।
जिसमें अधीर रंजन चौधरी ने समिति में नामित होने के कुछ ही घंटे बाद इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी इस पैनल में शामिल एकमात्र विपक्षी नेता थे।
लोकसभा में कांग्रेस की अगुवाई करने वाले अधीर रंजन चौघरी ने इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लिखे बेहद कड़े पत्र में कहा कि वह उस समिति का हिस्सा नहीं हो सकते, जिसके संदर्भ की शर्तें उसके निष्कर्षों की गारंटी देने के लिए तैयार की गई हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा अभ्यास केवल आंख में धूल झोंकने के लिए है।
दरअसल समिति को लेकर जो अधिसूचना जारी की गई है, उसमें स्पष्ट लिखा है कि समिति 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उपायों को परखेगी और उससे संबंधित सिफारिश करेगी।
जानकारी के अनुसार अधीर रंजन चौधरी द्वारा समिति से नाम वापसी का फैसला कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर लिया गया है। हालांकि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के दलों की मंशा थी कि बतौर अधीर रंजन चौधरी विपक्ष को पैनल का हिस्सा होना चाहिए और 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के खिलाफ अपनी चिंताओं और आशंकाओं को उठाना चाहिए।
लेकिन कांग्रेस नेता चौधरी द्वारा गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखने से पहले ही कांग्रेस पार्टी ने साफ कर दिया था कि वह समिति में अधीर रंजन चौधरी के नाम को शामिल किये जाने को सरकार की सकारात्मक दृष्टि नहीं मानती है और वह समिति का हिस्सा बनकर उसे किसी भी तरह से "वैधता" नहीं दे सकती है।
वहीं अधीर रंजन चौधरी ने अपने पत्र में लिखा, “मुझे अभी मीडिया के माध्यम से पता चला है और एक अधिसूचना सामने आई है कि मुझे केंद्र द्वारा 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' से संबंधी उच्च स्तरीय समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। मुझे उस समिति में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, जिसके संदर्भ की शर्तें उसके निष्कर्षों की गारंटी देने के लिए तैयार की गई हैं। मुझे डर है कि यह पूरी तरह से धोखा है।''
कांग्रेस नेता ने अपने पत्र में आगे कहा है, "आम चुनाव से कुछ महीने पहले केंद्र सरकार द्वारा संवैधानिक रूप से संदिग्ध और एक अव्यावहारिक विचार को देश पर थोपने का प्रयास किया जा रहा है, सरकार के इस तरह के गुप्त उद्देश्यों से गंभीर चिंता पैदा हो रही है। इसके अलावा, मुझे लगता है कि राज्यसभा में मौजूदा नेता विपक्ष (मल्लिकार्जुन खड़गे) को समिति से बाहर रखा गया है। इससे संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था का जानबूझकर अपमान किया गया है। इन परिस्थितियों में मेरे पास आपके निमंत्रण को अस्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”