रिजर्व बैंक की रिपोर्ट पर मचा कोहराम, विपक्ष ने पूछा लाखों करोड़ों कहां हुए गायब, निशाने पर पीएम नरेंद्र मोदी सरकार
By शीलेष शर्मा | Updated: May 31, 2021 19:00 IST2021-05-31T19:00:10+5:302021-05-31T19:00:10+5:30
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने यह सवाल उठाते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला है और यह भी पूछा कि पेट्रोल डीजल पर टैक्स लगा कर 1. 8 लाख करोड़ रूपया सरकार ने जिस तरह अतिरिक्त राजस्व एकत्रित किया उसका क्या हिसाब है।

(फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की वर्ष 2020- 21 की वार्षिक रिपोर्ट से बैंकों की ठगी को लेकर हुए खुलासे ने राजनीतिक हलकों में कोहराम मचा दिया है। विपक्ष अब सरकार से पूछ रहा है कि एक लाख करोड़ से ज़्यादा की रकम रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से जिस तरह लूटी गयी आखिर वह पैसा कहां हैं।
इधर कांग्रेस ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा तथा आंकड़े पेश करते हुए कहा कि सरकार के समय बैंकों से ठगी के मामले 2014-15 की तुलना में तेज़ी से बड़े हैं। यदि आंकड़ों की बात अक्रें तो 2020-21 में 1. 38 लाख करोड़ की ठगी बैंकों से की गयी और मोदी सरकार देखती रही। 2014-15 और 2020-21 के बीच ठगी की कुल रकम का अंतर 57 फीसदी सीएजीआर की दर से बढ़ी है।
जब लोन मोरोटोरियम लागू किया गया तब ठगी की राशि 138422 करोड़ रूपए थी। औसतन वर्ष 2018-19 में 10.5 करोड़ रूपए से बढ़ कर यह राशि 21. 3 करोड़ रूपए तक हो गयी है। कांग्रेस ने सरकार पर तीन सवाल दागे , पार्टी प्रवक्ता गौरव बल्लभ ने पूछा कि पिछले 7 सालों में लगातार हो रही बैंकों से ठगी के मामलों में मोदी सरकार क्या कर रही है, ठगी की इस रकम को वपद लाने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाये और ऐसे ठगों से सरकार ने कितना पैसा वसूला।
एसबीआई के आंकड़ों की बात करें तो कोरोना महामारी के कारण मई महीने में हर हफ्ते 8 अरब डॉलर का घाटा उठाना पड़ रहा है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एक मोटे अनुमान के तहत लगभग 5. 4 लाख करोड़ के नुक्सान की उम्मीद की जा रही है। एफएमसीजी क्षेत्र में १६ फीसदी की गिरावट देखी गयी है जिससे जीडीपी में 2. 4 फीसदी से लेकर 3 फीसदी तक की गिरावट दर्ज होगी।
मूडीज़ के अनुसार जीडीपी का औसत अनुमान 9. 3 फीसदी , क्रिसिल के अनुसार 8. 2 फीसदी और नोमुरा के अनुसार 10. 8 फीसदी है। ज़रूरी सामान की बिक्री घाटी है। वर्ष 2020-21 में विनिर्माण के क्षेत्र में 32 फीसदी रोज़गार कम हुआ है जिससे यह आशंका सताने लगी है कि देश की अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का लग चुका है और इससे बाहर निकलना आसान नहीं क्योंकि बाजार में मांग पूरी तरह समाप्त हो चुकी है।