ऋषिकेश, नौ जुलाई राजाजी बाघ अभयारण्य से एक बूढ़ी बाघिन का पिछले करीब एक साल से कुछ अता-पता नहीं है और उसे खोजने के अब तक के प्रयास निष्फल रहे हैं।
यह लापता बाघिन 2005 में जब कैमरा ट्रैप में दिखी थी तब इसकी आयु करीब पांच वर्ष आंकी गई थी। इस आधार पर आज उसकी उम्र 21 वर्ष होती जो वन्य दशाओं में बाघ की अधिकतम आयु मानी जाती है।
अभयारण्य के निदेशक धर्मेश कुमार सिंह ने भी माना कि लापता बाघिन वन्य दशाओं की अधिकतम उम्र के पड़ाव पर है और कहा कि गहन जांच व साक्ष्य संकलन में भी उसके होने की पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है।
राजस्थान के रणथंभौर बाघ अभयारण्य की 'लेडी ऑफ द लेक' के नाम से पूरे विश्व में मशहूर ‘मछली’ नामक बाघिन ने 21 वर्ष की उम्र में अभयारण्य प्रशासन की उपस्थिति में तोड़ा था। असहाय, बूढ़ी व अंधी हो जाने के बाद भी ‘मछली’ अभयारण्य प्रशासन की निगरानी में जीवित रही और उसके आखिरी क्षण तक रणथंभौर बाघ अभयारण्य उसकी देखभाल करता रहा।
ऐसा ही मध्य प्रदेश के कान्हा बाघ अभयारण्य के नर बाघ ‘मुन्ना’ के साथ हुआ था। डेढ़ दशक तक कान्हा जंगलों में अपना वर्चस्व रखने के बाद उसे पहले जंगल के बफ़र जोन में और फिर ज्यादा बूढ़ा होने पर भोपाल चिड़ियाघर में रखा गया। ‘मुन्ना’ ने भी 21 वर्ष की आयु में भोपाल चिड़ियाघर में दम तोड़ा था।
‘मछली’ और ‘मुन्ना’ संबंधित अभयारण्य प्रशासनों की निगरानी में ही अधिकतम 21 वर्ष तक जीवित रह सके जबकि राजाजी बाघ अभयारण्य से एक वर्ष से गायब बूढ़ी बाघिन का कोई अता-पता ही नहीं है।
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