झारखंड में दो वर्षों में बेरोजगारों की संख्या छह गुना बढ़ी, किसी को भी बेरोजगारी भत्ता नहीं
By भाषा | Updated: December 22, 2021 14:58 IST2021-12-22T14:58:47+5:302021-12-22T14:58:47+5:30

झारखंड में दो वर्षों में बेरोजगारों की संख्या छह गुना बढ़ी, किसी को भी बेरोजगारी भत्ता नहीं
रांची, 22 दिसंबर झारखंड में पिछले दो वर्षों में बेरोजगारों की संख्या में लगभग छह गुना वृद्धि दर्ज की गयी और इस वर्ष जून तक सभी 24 जिलों के 43 रोजगार कार्यालयों में कुल 645844 बेरोजगार पंजीकृत थे जिनमें से राज्य सरकार अब तक किसी को भी रोजगार नहीं दे सकी है और उन्हें फिलहाल किसी तरह का बेरोजगारी भत्ता भी नहीं मिल रहा है।
झारखंड विधानसभा में बुधवार को बोकारो से भाजपा विधायक विरंचीनारायण द्वारा राज्य में बेरोजगारों की संख्या, उन्हें पिछले दो वर्षों में दिये गये रोजगार अथवा बेरोजगारी भत्ता के संबन्ध में पूछे गये लिखित प्रश्न के जवाब में राज्य सरकार ने यह जानकारी दी।
विरंचीनारायण ने अपने सवाल में जानना चाहा था कि क्या राज्य सरकार अपने वादे के अनुरूप ऐसे शिक्षित बेरोजगार युवकों को बेरोजगारी भत्ता दे रही है जिसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से श्रम एवं रोजगार मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि राज्य सरकार अब तक बेरोजगार युवकों को कोई बेराजगारी भत्ता नहीं दे सकी है।
हालांकि उन्होंने अपने जवाब में कहा कि बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने का प्रस्ताव सरकार स्तर पर विचाराधीन है।
भोक्ता ने यह भी स्वीकार किया कि झारखंड और उसके पांच पड़ोसी राज्यों में झारखंड में सबसे अधिक बेरोजगारी है। इतना ही नहीं बेरोजगारी दर में झारखंड देश में चौथे स्थान पर है।
सरकार ने स्वीकार किया कि राज्य में विगत 23 माह में वर्ष 2019 के मुकाबले 638 प्रतिशत से अधिक बेरोजगारों ने रोजगार कार्यालयों में आवेदन दिये हैं।
मंत्री ने अपने जवाब में स्वीकार किया कि वर्ष 2019 में राज्य में निबंधित बेरोजगार युवकों की संख्या मात्र 85122 थी जबकि जनवरी 2020 से जून 2021 तक इसमें 560722 युवक और जुड़ गये।
राज्य सरकार ने अपने उत्तर में कहा कि अपने वादे के अनुरूप सरकार राज्य में रिक्त पड़े 329860 सरकारी पदों पर बेरोजगार युवकों की नियुक्ति के लिए कदम उठा रही है और इसके लिए नियुक्ति प्रक्रियाओं एवं नियमों में आवश्यक संशोधन किये जा रहे हैं।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।