नई दिल्ली: सरकारी अस्पतालों में ज्यादा लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा भले ही सरकार करती है लेकिन हकीकत में ज्यादातर लोग निजी अस्पतालों के ही भरोसे हैं. इस स्थिति में बीते दो दशकों के बाद भी कोई खास सुधार नहीं आया है. मौजूदा समय में भी लोग सरकारी से ज्यादा निजी अस्पतालों पर भरोसा जताते हैं.
एसएसएसओ के महानिदेश असित कुमार साधु के अनुसार महाराष्ट्र के शहरी इलाकों में आज भी 80 प्रतिशत से अधिक लोग स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं के लिए निजी क्षेत्र पर निर्भर हैं.
हालांकि जब बात देशभर के शहरी इलाकों की जाए तो यह औसतन 65 प्रतिशत बैठता है. सरकारी योजनाओं के लिए देशभर में आंकड़े जुटाने वाले सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एसएसएसओ) की ताजा रिपोर्ट में जानकारी समाने आई है.
बीत गए 22 वर्ष पर कोई सुधार नहीं
वर्ष 1995-96 के सर्वे में शहरी इलाकों में रहने वाले 43 प्रतिशत लोग इलाज के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचे थे. लेकिन ताजा आंकड़ा बताता है कि अब 30-35 प्रतिशत लोग ही सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं.
बता दें कि 22 वर्षों के दौरान शहरी इलाकों में आबादी जिस तेजी से बढ़ी उस रफ्तार से स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार नहीं हो पाया है. इसी तरह 22 वर्ष पहले ग्रामीण क्षेत्रों की 44 प्रतिशत आबादी सरकारी अस्पताल जाती थी, जो अब 45% हो गई है लेकिन इस मामूली बढ़त को कामयाबी नहीं माना जा सकता.
महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, हरियाणा और गुजरात राज्यों के शहरी इलाकों में निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर लोगों की निर्भरता राष्ट्रीय औसत से भी अधिक रही. सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा कम उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, पंजाब, आंध्रप्रदेश और बिहार में भी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच अन्य राज्यों के मुकाबले कम रही.
महाराष्ट्र में 25% ग्रामीणों ने कराया सरकारी इलाज
महाराष्ट्र में ग्रामीण इलाकों में तकरीबन 25.7 प्रतिशत आबादी ने सरकारी अस्पताल को चुना लेकिन शहरी इलाकों में 80.1 प्रतिशत लोगों ने इलाज के लिए निजी अस्पताल का रुख किया और केवल 17.9 प्रतिशत लोग ही सरकारी अस्पताल पहुंचे.
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 71.1 प्रतिशत लोग निजी अस्पतालों तक पहुंचे. जुलाई 2017 से जून 2018 के दौरान हुए इस सर्वे में एनएसएसओ के इस सर्वे में देशभर में 1,13,823 परिवारों से मिली जानकारी के आधार पर तैयार की गई.
इनमें 64,552 ग्रामीण और 49,271 शहरी परिवारों को शामिल किया गया. ग्रामीण क्षेत्र के 3,25,883 और 2,29,232 शहरी क्षेत्र के व्यक्तियों सहित कुल 5,55,115 लोगों ने इस सर्वे में भाग लिया. निजी अस्पतालों में महंगा इलाज रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती होने के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति औसत खर्च 16,676 और शहरी इलाकों में 26,475 रुपए हुआ.
ग्रामीण और शहरी इलाकों के सरकारी अस्पताल में इलाज का औसत खर्च क्र मश: 4290 और 4837 रु पए आया. वहीं निजी अस्पतालों में ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज का खर्च औसतन 27,347 और शहरी क्षेत्रों में 38,822 रुपए खर्च आया.
सरकारी, निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भरता
| राज्य | सरकारी | निजी |
| कर्नाटक | 17.1 | 82.9 |
| तेलंगाना | 17.3 | 82.7 |
| महाराष्ट्र | 17.9 | 82.1 |
| हरियाणा | 20.3 | 79.7 |
| गुजरात | 21.3 | 78.7 |
| उत्तराखंड | 23.7 | 76.4 |
| उत्तर प्रदेश | 24.1 | 76 |
| पंजाब | 29.3 | 70.6 |
| आंध्र प्रदेश | 31.7 | 68.3 |
| बिहार | 32.4 | 67.6 |
| अखिल भारतीय | 35.3 | 64.7 |
स्रोत - एनएसएसओ (आंकड़े प्रतिशत में)