’सम्मेद शिखरजी’ से संबंधित पारसनाथ की पहाड़ियों पर अब आदिवासियों ने भी किया दावा, दी आंदोलन की चेतावनी
By एस पी सिन्हा | Published: January 6, 2023 09:38 PM2023-01-06T21:38:05+5:302023-01-06T21:58:15+5:30
इस विवाद पर बोलते हुए सालखन मुर्मू ने कहा है कि संथाल समुदाय पारसनाथ पहाड़ी को मारंग गुरु से जोड़ कर देखा जाता है और इसकी धार्मिक मानता है। ऐसे में पारसनाथ पहाड़ियों पर हमारा हक है।
रांची: जैन समाज की धार्मिक भावनाओं का कद्र करते हुए केंद्र सरकार और झारखंड सरकार ने ’सम्मेद शिखरजी’ से संबंधित पारसनाथ पहाड़ी पर सभी प्रकार की पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी है। इधर, जैन समुदाय के बाद आदिवासी समुदाय ने भी पहाड़ पर दावेदारी कर दी है।
आपको बता दें कि संथाल समुदाय पहाड़ी को मारंग गुरु के धार्मिक के रूप में मानता है। ऐसे में संथाल समुदाय के समर्थन में अब अन्य आदिवासी समुदाय सामने आ रहे हैं।
पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने क्या एलान किया है
इस पर बोलते हुए पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने पारसनाथ मारंग गुरु बचाओ आंदोलन का ऐलान किया है। ऐसे में सालखन मुर्मू ने 17 जनवरी से आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। 17 जनवरी को पांच प्रदेशों के 50 जिलों में धरना प्रदर्शन की तैयारी है। ऐसे में इस आंदोलन के तहत भारत बंद का भी ऐलान होगा।
इस तरह से आदिवासियों ने पारसनाथ पहाड़ियों पर अपना दावा करते हुए आंदोलन करते हुए आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। इससे इस इलाके में स्थिती तनावपूर्ण होने की संभावना व्यक्त की जाने लगी है। बता दें कि सालखन मुर्मू झामुमो के टिकट पर सांसद बने थे लेकिन अभी जदयू में हैं।
संथाल समुदाय की क्या है मान्यता
मामले में बोलते हुए सालखन मुर्मू ने कहा कि संथाल समुदाय पारसनाथ पहाड़ी को मारंग गुरु से जोड़ कर देखा जाता है और इसकी धार्मिक मानता है। ऐसे में पारसनाथ पहाड़ियों पर हमारा हक है। यहां उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने झारखंड के गिरिडीह जिले में जैन तीर्थ स्थल ‘सम्मेद शिखरजी पर्वत’ क्षेत्र में पर्यटन और इको पर्यटन से जुड़ी सभी गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
साथ ही राज्य सरकार को इसकी पवित्रता बनाये रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन अब आदिवासी भी मैदान में उतर गये हैं और उन्होंने इस इलाके पर अपना दावा कर रहे है। उन्होंने इसे मुक्त करने की मांग भी की है।