कोविड टीके के क्लीनिकल परीक्षण के आंकड़ों सार्वजनिक करने के लिए याचिका पर केंद्र, अन्य को नोटिस

By भाषा | Published: August 9, 2021 05:02 PM2021-08-09T17:02:08+5:302021-08-09T17:02:08+5:30

Notice to Centre, others on plea to make public clinical trial data of Kovid vaccine | कोविड टीके के क्लीनिकल परीक्षण के आंकड़ों सार्वजनिक करने के लिए याचिका पर केंद्र, अन्य को नोटिस

कोविड टीके के क्लीनिकल परीक्षण के आंकड़ों सार्वजनिक करने के लिए याचिका पर केंद्र, अन्य को नोटिस

नयी दिल्ली, नौ अगस्त उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 रोधी टीके के क्लीनिकल परीक्षण के आंकड़ों के खुलासे के संबंध में निर्देश देने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सोमवार को केंद्र, भारत बायोटेक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और अन्य से जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किये और चार सप्ताह के भीतर केंद्र एवं अन्य को इस संबंध में जवाब देने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने भारत में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में ‘‘टीका लगवाने में लोगों की हिचकिचाहट’’ के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं रहेगा जब तक कि सभी का टीकाकरण नहीं हो जाता।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस देश में टीके की झिझक से लड़ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दुनिया में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक टीके की हिचकिचाहट है। अगर हम इसकी जांच शुरू करेंगे तो क्या यह लोगों के मन में संदेह पैदा करने वाला नहीं होगा।’’

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि न तो यह ‘‘टीका विरोधी याचिका’’ है और न ही याचिकाकर्ता देश में कोविड-19 के टीकाकरण को रोकने का अनुरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पारदर्शिता की आवश्यकता है और आंकड़ों के खुलासे से सभी संदेह दूर हो जाएंगे।

पीठ ने केंद्र और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), भारत बायोटेक और एसआईआई सहित अन्य को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब मांगा है।

पीठ ने कहा कि वह विशेषज्ञों द्वारा लिए गए वैज्ञानिक निर्णयों में नहीं पड़ना चाहती। उसने कहा कि व्यक्तिगत स्वायत्तता को जन स्वास्थ्य के साथ संतुलित करना होगा। पीठ ने कहा, ‘‘हम नोटिस जारी करेंगे। हमें उनसे जवाब मिलेगा।’’

भूषण ने कहा कि अगर आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया तो इससे अफवाहें और बढ़ेंगी और चिंता के और भी कारण होंगे। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर के सीरो-सर्वेक्षण के अनुसार, देश की लगभग दो-तिहाई आबादी को पहले ही कोविड हो चुका है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि इससे प्राप्त प्रतिरक्षा इन टीकों से प्राप्त की तुलना में बहुत अधिक स्थायी और बेहतर है।

पीठ ने पूछा, ‘‘क्या आप सुझाव दे रहे हैं कि टीकाकरण को रोकना होगा।’’ भूषण ने कहा ‘‘नहीं’’ और कहा कि लोगों को टीका लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और क्लीनिकल परीक्षणों और टीकाकरण के बाद के आंकड़ों का खुलासा किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि देश में अब तक टीके की 50 करोड़ से अधिक खुराक लगाई जा चुकी है और एक बार जब वह इस याचिका पर विचार कर लेती है, तो यह संकेत नहीं जाना चाहिए कि इन टीकों पर कोई संदेह है।

भूषण ने रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि टीका हिचकिचाहट उन लोगों में अधिक है जो शिक्षित हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हम केवल इसे दूसरी तरह से और बड़े रूप में देखने की कोशिश कर रहे हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘इस देश में मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में टीका लगवाने में हिचकिचाहट सामने आ रही है।’’

भूषण ने पीठ से कहा कि सरकार का कहना है कि टीका पूरी तरह से स्वैच्छिक है लेकिन अब लोग टीका लगवाने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने टीका अनिवार्यता का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आप किसी को किसी भी सेवा या नौकरी से इनकार नहीं कर सकते।’’

हालांकि, पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर आपकी दलीलों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं क्योंकि आप व्यापक जनहित के खिलाफ व्यक्तिगत स्वायत्तता पर दबाव डाल रहे हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जब तक सभी का टीकाकरण नहीं हो जाता, कोई भी सुरक्षित नहीं है।’’

भूषण ने कहा कि ऐसी खबरें और आंकड़े हैं कि कई देशों में फैल रहे डेल्टा स्वरूप के वायरस के खिलाफ टीके उतने प्रभावी नहीं हैं। इसके बाद पीठ ने आज की उस खबर का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि भारत में कोरोना टीके कोविशील्ड और कोवैक्सीन की मिश्रित खुराक लेना ज्यादा असरदार साबित हो सकता है।

भूषण ने कहा, ‘‘यह सबसे महत्वपूर्ण पीआईएल (जनहित याचिका) है जो मैंने दाखिल की है। यह करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक टीका-विरोधी याचिका नहीं है।’’

पीठ ने कहा कि देश में अभी भी कोरोना वायरस के चार लाख सक्रिय मामले हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गये हैं और ऐसी खबरें हैं कि देश टीकों की कमी से जूझ रहा है।

पीठ ने कहा, ‘‘जाने दो। लोगों को टीका लगवाने दो।’’ पीठ ने कहा कि वह याचिका में उठाए गए मुद्दों की जांच करेगी।

पीठ डॉ जैकब पुलियेल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के पूर्व सदस्य हैं और उन्होंने टीकाकरण के बाद इसके प्रतिकूल प्रभाव से संबंधी आंकड़े सार्वजनिक करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।

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Web Title: Notice to Centre, others on plea to make public clinical trial data of Kovid vaccine

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