सरहद पर जंग के दौरान कोई सैनिक या ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी की कार्रवाई के दौरान मौत हो जाती है तो इसके लिए सरकार के पास 'मार्टर' या 'शहीद' जैसा कोई शब्द मौजूद नहीं है। इस बात का खुलासा सूचना के तहत मिली जानकारी में हुआ। एक आरटीआई आवेदक ने इस मामले में जानकारी के लिए रक्षा और गृह मंत्रलाय को अलग-अलग आवेदन दिए थे। जिसके बाद जवाब में रक्षा और गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सूचना आयोग को यह जानकारी दी कि सैनिक या पुलिसकर्मी के लिए 'बैटल कैजुअल्टी' या 'ऑपरेशन कैजुअल्टी' शब्द का प्रयोग किया जाता है।
वहीं इस मामले में सूचना आयुक्त यशोवर्धन आजाद ने बताया कि, "रक्षा मंत्रालय की ओर से एक अधिकारी ने कहा कि उनके मंत्रालय में 'शहीद' या 'मार्टर' शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है इसकी जगह 'बैटल कैजुअल्टी' यूज किया जाता है। वहीं गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय में 'शहीद' के लिए 'ऑपरेशन्स कैजुअल्टी' शब्द का प्रयोग किया जाता है।
मंत्रालयों ने अपने जवाब में कहा है कि, 'बैटल कैजुअल्टी' और 'ऑपरेशन्स कैजुअल्टी' का फैसला कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की रिपोर्ट आने के बाद लिया जाता है। आवेदक ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी कि कानून और संविधान के मुताबिक 'शहीद' (मार्टर) शब्द का अर्थ और व्यापक परिभाषा क्या है?
दोनों ही मंत्रालय इस बात का जवाब दे चुके थे लेकिन संतोष जानकारी नहीं मिलने पर आवेदक ने सर्वोच्च अपीलीय प्राधिकार यानी केंद्रीय सूचना आयोग से इस मामले में जानाकरी मांगी थी।