स्मॉग टावर से वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक समाधान का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं: विशेषज्ञ

By भाषा | Updated: August 23, 2021 20:27 IST2021-08-23T20:27:54+5:302021-08-23T20:27:54+5:30

No scientific evidence for long-term solution to air pollution from smog towers: Experts | स्मॉग टावर से वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक समाधान का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं: विशेषज्ञ

स्मॉग टावर से वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक समाधान का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं: विशेषज्ञ

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कनॉट प्लेस में स्मॉग टावर का उद्घाटन किया है। उन्होंने बताया कि इस टावर से एक किलोमीटर के दायरे में वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी। हालांकि, कई विशेषज्ञों का कहना है कि स्मॉग टावर एक छोटे से क्षेत्र में वायु प्रदूषण से तत्काल राहत प्रदान कर सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि में उनकी प्रभावशीलता को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं होने के कारण वे एक महंगा और अस्थायी समाधान हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि सरकारों को इसके बजाय मूल कारणों से निपटना चाहिए और वायु प्रदूषण के समाधान व उत्सर्जन को कम करने के लिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के एक फेलो संतोष हरीश ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, “यदि अन्य शहरों में भी इस तरह के महंगे और प्रभावहीन टावरों की स्थापना की गई तो यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण बात होगी। वे उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान केन्द्रित करने से सरकारों को भटका रहे हैं।''दिल्ली स्थित ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) में कार्यक्रम प्रमुख तनुश्री गांगुली ने कहा कि स्मॉग टावर वायु प्रदूषण को समाधान के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इसका यहां तक कि विश्व स्तर पर भी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि वे बाहरी हवा को प्रभावी ढंग से फ़िल्टर कर सकते हैं।'' वहीं, सरकार ने दावा किया कि यह टावर लगभग एक किलोमीटर के दायरे में प्रति सेकंड 1,000 क्यूबिक मीटर हवा को शुद्ध करेगा। केजरीवाल ने कहा कि 24 मीटर से अधिक लंबा टावर भारत में अपनी तरह का पहला टावर है। इसे एक पायलट परियोजना के रूप में स्थापित किया गया है और शुरुआती रुझान एक महीने के भीतर उपलब्ध होंगे। यदि पायलट परियोजना सफल होती है, तो राष्ट्रीय राजधानी में और अधिक स्मॉग टावर लगाए जाएंगे। आनंद विहार में केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया एक और 25 मीटर ऊंचा टावर, 31 अगस्त तक चालू होने की उम्मीद है। प्रत्येक टावर की कीमत लगभग 22 करोड़ रुपये है। दोनों टावरों में 1,200 एयर फिल्टर होंगे। टावर के ऊपर से हवा को अंदर लिया जाएगा और फिर फ़िल्टर करके नीचे पंखे के माध्यम से छोड़ा जाएगा। पर्यावरण विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एंटी-स्मॉग टावर एक प्रभावहीन साधन हैं। उन्होंने इनकी व्यवहार्यता पर चिंता जताई और कहा कि परिवेशी वायु गुणवत्ता पर इस तकनीक के प्रभाव का आकलन करने के लिए कोई अध्ययन मौजूद नहीं है। पर्यावरणविद् हरजीत सिंह ने कहा कि दिल्ली में स्मॉग टावर की स्थापना सिर्फ एक त्वरित समाधान है। यह वायु प्रदूषण से तत्काल राहत प्रदान करेगा, लेकिन एक छोटे से क्षेत्र में। सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''हमें वायु प्रदूषण के मूल कारणों से निपटना चाहिए और हरित सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना चाहिए, बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को अपनाना चाहिए और अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए।'' वहीं, सीईईडब्ल्यू की तनुश्री गांगुली ने कहा कि सरकार को नव स्थापित स्मॉग टावर की प्रभावशीलता पर कड़ाई से डाटा एकत्रित करके उसे सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना चाहिए।गांगुली ने कहा, ''सबूत मिलने के बाद ही देश के अन्य राज्यों और हिस्सों में ऐसे और टावरों में निवेश करने पर विचार किया जाना चाहिए।

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Web Title: No scientific evidence for long-term solution to air pollution from smog towers: Experts

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