मेरठ के डीएम ने कहा-"शहर का नाम नहीं बदलेगा, ऐसे सवालों पर जवाब देने का समय नहीं है"
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 18, 2019 13:04 IST2019-12-18T12:54:28+5:302019-12-18T13:04:03+5:30
जिला मजिस्ट्रेट अनिल ढींगरा ने कहा, “इस तरह के अनुरोध पर विचार करने के लिए कोई जगह नहीं है। हमें इस साल फरवरी में हिंदू महासभा सदस्यों द्वारा शिकायत मिली थी और जवाब दिया था कि नाम परिवर्तन पर विचार नहीं किया जाएगा।

मेरठ के डीएम ने कहा-"शहर का नाम नहीं बदलेगा, ऐसे सवालों पर जवाब देने का समय नहीं है"
उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरठ जिले का नाम बदलकर पंडित नाथूराम गोडसे नगर रखने के बाबत जिलाधिकारियों से तत्काल जवाब मांगा था। राजस्व विभाग ने मेरठ, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर के नाम बदलने के मामले में तीनों जिलों जिलाधिकारियों को पत्र भेजा। इस मामले पर विवाद बढ़ते ही मेरठ के जिलाधिकारी ने कहा कि फरवरी में हिंदू महासभा की ओर से शिकायत पर मैंने कह दिया था कि मेरठ शहर के नाम बदलने पर विचार नहीं किया जाएगा।
डीएम ने कहा कि हाल में पत्र लिखकर मैंने संगठन को बता दिया था कि शहर का नाम ही नहीं बदला जाएगा। आपको बता दें कि इस मामले में योगी आदित्यनाथ तक को दखल देना पड़ा।
जिला मजिस्ट्रेट अनिल ढींगरा ने कहा, “इस तरह के अनुरोध पर विचार करने के लिए कोई जगह नहीं है। हमें इस साल फरवरी में हिंदू महासभा सदस्यों द्वारा शिकायत मिली थी और जवाब दिया था कि नाम परिवर्तन पर विचार नहीं किया जाएगा। हालांकि, मैंने उन्हें एक ताज़ा जवाब भेजा है जिसमें कहा गया है कि मेरठ का नाम अपरिवर्तित रहेगा। ”
वहीं, अखिल भारतीय हिंदू महासभा के मेरठ के जिला अध्यक्ष अभिषेक अग्रवाल ने कहा, “हमारे लिए, नाथूराम गोडसे एक उच्च कद रखते हैं और मेरठ का नाम उनके लिए गर्व की बात है। हमने 15 नवंबर, 2018 को यह मांग उठाई थी और जिला प्रशासन को मामले पर फैसला लेने में एक साल का समय लगा था।"
टाइम ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, बता दें कि पिछले चार महीने में तीन बार इन जिलाधिकारियों को रिमाइंडर भेजा जा चुका है। यूपी के मेरठ जिले का नाम बदलने की मांग लंबे समय से हो रही है। एक अधिकारी के बताया कि जल्द इस मामले का निस्तारण करना जरूरी है नहीं तो ये लंबित मामले हो जाएंगे। अधिकारी के अनुसार उन्हें सीएम द्वारा समीक्षा बैठकों में स्पष्टीकरण देना होता है।
जब भी नाम बदलने से जैसे मसले सामने आते हैं तो सरकार जिला प्रशासन से राय मांगती है और ऐतिहासिक तथ्यों और अन्य विचारों के आधार पर ही निर्णय लेती है।