FDI नियमों में भारत ने नहीं दी है चीनी कंपनियों को कोई छूट, 2020 में व्यापार में 56 हजार करोड़ की गिरावट
By हरीश गुप्ता | Published: February 24, 2021 10:29 AM2021-02-24T10:29:09+5:302021-02-24T11:51:54+5:30
भारत और चीन के बीच व्यापार 2019 में 85.5 बिलियन डॉलर का था। ताजा आंकड़ों के अनुसार ये अगले साल यानी 2020 में घटकर 77.7 बिलियन डॉलर का रह गया है।
चीन की ओर से मैत्री प्रदर्शित करने के बावजूद भारत ने प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के नियमों में चीन को कोई छूट प्रदान नहीं की है। अप्रैल-2020 में लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों को भी यथावथ रखा गया है।
दोनों देशों के बीच व्यापार 2019 में 85.5 बिलियन डॉलर का था जो 2020 में घटकर 77.7 बिलियन डॉलर का रह गया। यह लगभग 56 हजार करोड़ से अधिक है। चीन के 2 बिलियन डॉलर के 150 निवेश प्रस्ताव भारत में लंबित हैं।
पहले चीन से एफडीआई का कोई भी निवेश स्वचालित मार्ग (ऑटोमैटिक रूट) के कारण आसानी से हो जाता था लेकिन भारतीय क्षेत्रों में चीन के घुसपैठ के प्रयास के बाद 17 अप्रैल 2020 में नियमों को सख्य बना दिया गया था।
कोई भी पड़ोसी देश, व्यक्ति अथवा कंपनी भारत में ऑटोमेटिक निवेश नहीं कर सकती। मीडिया के एक वर्ग की आलोचना के बावजूद सरकार ने यह साफ किया कि कोई भी निवेश सरकार की पूर्व अनुमति के बगैर नहीं किया जाएगा।
नया नियम पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार और कुछ अन्य देशों पर भी लागू होता है और स्वचालित निवेशों को रोकता है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले दिन संसद में बताया कि 92 चीनी कंपनियां हैं जिन्होंने उचित नियमावली का पालन नहीं किया है और रिजर्व बैंक से अनुमोदन लेने के बाद भारत में व्यापार स्थापित किया है।
इनमें 80 कंपनियां भारत में सक्रिय हैं। कुल मिलाकर 2474 कंपनियों ने भारत में निवेश किया है।
फिलहाल 17 अप्रैल 2020 में बनाए गए नियम यथावत कायम रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैकड़ों चीनी ऐप को भारत में बैन कर दिया है और पड़ोसी निवेश की मंजूरी को धीमा कर दिया है।