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अब भूख से नहीं मरेगा कोई गरीब, SC ने भूख से लड़ने के लिए सामुदायिक भोजनालय बनाने का पक्ष लिया

By भाषा | Updated: October 19, 2019 14:35 IST

सामाजिक कार्यकर्ता अनून धवन, इशान धवन और कुंजना सिंह की तरफ से दायर याचिका में केंद्र को यह भी निर्देश देने की मांग की गई कि जन वितरण प्रणाली के दायरे में नहीं आने वाले लोगों के लिए राष्ट्रीय भोजन ग्रिड बनाया जाए। इसने राष्ट्रीय कानूनी सेवाएं प्राधिकरण को भूख से जुड़ी मौत कम करने की योजना तैयार करने का आदेश जारी करने की भी मांग की।

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ठळक मुद्देउच्चतम न्यायालय ने सामुदायिक भोजनालय बनाने का समर्थन किया याचिका में सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को निर्देश देने की मांग की गई है

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सामुदायिक भोजनालय बनाने का समर्थन करते हुए कहा कि भूख की समस्या से निपटने के लिए देश में इस तरह की व्यवस्था करने की जरूरत है। न्यायमूर्ति एन. वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया और साझी रसोई बनाने के प्रस्ताव पर उनसे जवाब मांगा।

अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को निर्देश देने की मांग की गई है कि भूख और कुपोषण से लड़ने के लिए साझी रसोई की योजना तैयार करें। याचिका में दावा किया गया कि पांच वर्ष से कम उम्र के कई बच्चे प्रतिदिन भूख और कुपोषण से मर जाते हैं और यह स्थिति कई मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है जिसमें नागरिकों के भोजन और जीवन का अधिकार भी शामिल है।

सामाजिक कार्यकर्ता अनून धवन, इशान धवन और कुंजना सिंह की तरफ से दायर याचिका में केंद्र को यह भी निर्देश देने की मांग की गई कि जन वितरण प्रणाली के दायरे में नहीं आने वाले लोगों के लिए राष्ट्रीय भोजन ग्रिड बनाया जाए। इसने राष्ट्रीय कानूनी सेवाएं प्राधिकरण को भूख से जुड़ी मौत कम करने की योजना तैयार करने का आदेश जारी करने की भी मांग की।

याचिका में तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, झारखंड और दिल्ली में राज्य सरकार की वित्तीय सहायता से संचालित सामुदायिक भोजनालयों का हवाला दिया जो सब्सिडी वाली दरों पर भोजन मुहैया कराते हैं। याचिका में दूसरे देशों के सूप रसोई, भोजन केंद्र, भोजन रसोई या सामुदायिक भोजनालयों की अवधारणा का भी जिक्र है जहां भूखे लोगों को सामान्यत: नि:शुल्क या फिर बाजार दर से कम कीमत पर भोजन मुहैया कराया जाता है। 

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