जस्टिस जोसेफ मामले में सरकार की सफाई, कहा-नियुक्ति को ठुकराने का उत्तराखंड फैसले से कोई संबंध नहीं
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: May 2, 2018 10:35 PM2018-05-02T22:35:57+5:302018-05-02T22:35:57+5:30
कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति की सुप्रीम कोर्ट ने सिफारिश थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसको केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया था।
नई दिल्ली, 2 मई: कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति की सुप्रीम कोर्ट ने सिफारिश थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसको केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया था। अब मामले के बढ़ने के बाद इस पर केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसार ने आज सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि इस सिफारिश ठुकराने के पीछे उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का मामला कतई नहीं है।
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खबर के अनुसार बुधवार को सरकार ने इस बात को खारिज कर दिया कि उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की सुप्रीम में नियुक्ति के प्रस्ताव को उसने इसलिए ठुकरा दिया कि उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को पलट दिया था। ऐसे में अब कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस पूरे प्रकरण पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के तीन फैसलों से सरकार को यह अधिकार है कि वह न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर एक बार फिर से विचार करने के लिए कह सकती है।
उन्होंने कहा है कि अपने रूख का समर्थन करने के लिए उनके पास दो स्पष्ट कारण हैं। उन्होंने कि राज्य में जनता के बहुमत पर सरकार बनी है। खुद सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने उस आदेश (न्यायमूर्ति जोसेफ) की पुष्टि की थी और न्यायमूर्ति खेहर ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून को भी खारिज कर दिया था।
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दरअसल 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति केएम जोसेफ को पदोन्नति देकर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाने और वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दु मल्होत्रा को सीधे सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी लेकिन उनकी फाइल को लौटा दिया गया था।