बिहार: समान नागरिक संहिता पर बीजेपी और जदयू आमने-सामने, एक ने लागू करने की मांग की तो दूसरे ने किया इनकार
By एस पी सिन्हा | Published: April 25, 2022 04:14 PM2022-04-25T16:14:33+5:302022-04-25T16:25:42+5:30
जदयू ने अपना रुख साफ करते हुए विधान पार्षद सह पार्टी के संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता नहीं है।
पटना:बिहार में भाजपा व जदयू कई मुद्दों पर एक-दूसरे के आमने-सामने आते रहे हैं। भाजपा बिहार में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरती रही है। ताजा मामला समान नागरिक संहिता (uniform civil code) का है। भाजपा कोटे से सूबे के मंत्री जनक राम पूरे बिहार सहित देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्ष में हैं।
वहीं, इसे लेकर जदयू ने अपना रुख साफ करते हुए विधान पार्षद सह पार्टी के संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने दो-टूक कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार है और उनके मुख्यमंत्री रहते किसी भी कीमत पर समान नागरिक संहिता को लागू करने का सवाल ही नहीं है।
कुशवाहा ने कहा कि बिहार में समान नागरिक संहिता लागू नहीं होगा। देश में अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं। अभी जो व्यवस्था है, वह ठीक है। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार है। सब को पता है कि कई मसलों पर जदयू की राय भाजपा से अलग है। समान नागरिक संहिता से परेशानी क्या है? इस सवाल पर जदयू नेता ने कहा कि आखिर इसकी जरूरत क्या है?
कुशवाहा ने कहा कि बिहार में समान नागरिक संहिता की जरूरत पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश संविधान से चल रहा है और आगे भी उसी से चलेगा। एनडीए की सरकार में इस बड़े मुद्दे पर जदयू अकेले कैसे फैसला कर सकता है? इसपर कुशवाहा ने दो-टूक कहा कि उनकी पार्टी अपनी नीतियों से समझौता नहीं कर सकती।
यहां बता दें कि भोजपुर के जगदीशपुर में वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव समारोह के दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा था कि गृहमंत्री अमित शाह ने कह दिया है कि भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता को लागू किया जाएगा।
यही नहीं केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी बिहार में समान नागरिकता संहिता लागू करने बात कही थी। उनका कहना था कि ऐसे कानून की जरूरत इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए है कि हमारी जनसंख्या का घनत्व पहले ही उससे ज्यादा है, जितना हम संभाल सकते हैं। उन्होंने कहा था कि यह राजनीतिक नहीं सामाजिक मुद्दा है।