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बिहारः कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में सामने आया फर्जीवाड़ा, स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकारा, लालू यादव ने कसा तंज

By एस पी सिन्हा | Updated: June 10, 2021 20:19 IST

बिहार में कोरोना से हुई मौतों के मामले में नीतीश सरकार बुरी तरह से घिर गई है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा जारी कोरोना से मरने वालों की संख्‍या सही नहीं थी, यह खुद स्वास्थ्य विभाग मान रहा है।

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ठळक मुद्देबिहार में कोरोना से हुई मौतों के मामले में नीतीश सरकार बुरी तरह से घिर गई है।स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने माना कि मरने वालों की संख्‍या सही नहीं थी। लालू यादव ने ट्वीट के जरिये नीतीश कुमार पर तंज कसा है। 

पटनाःबिहार में कोरोना से हुई मौतों के मामले में नीतीश सरकार बुरी तरह से घिर गई है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा जारी कोरोना से मरने वालों की संख्‍या सही नहीं थी, यह खुद स्वास्थ्य विभाग मान रहा है। बुधवार को आई रिपोर्ट में मृतकों की संख्‍या के गलत होने की बात पत्रकार वार्ता में विभाग के सचिव प्रत्‍यय अमृत ने मानी है। दो दिन पहले आठ जून तक 5,424 की मौत की बात करते हुए बाद में इसे सरकार द्वारा 9,375 बताया गया था। इस तरह से बिहार सरकार ने ऑडिट के बाद लगभग चार हजार मौतों को अपने रिकॉर्ड में शामिल किया है। 

सरकार की तरफ से जो ताजा आंकड़े जारी किए गए, उसके बाद लगातार यह सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार ने मौत के आंकड़ों को छिपाने की कोशिश की? स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत की तरफ से मौत के ताजा आंकड़ों के बारे में बुधवार को जानकारी दी गई थी। उसके बाद लगातार सरकार की फजीहत हो रही है। अब सरकार की तरफ से स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र के प्रोटोकॉल के तहत कोरोना से मृत्यु के मामले सामने आते हैं तो उन्हें भी शामिल किया जाएगा। बिहार में इस समय आठ हजार से कम सक्रिय मामले हैं। बता दें कि बिहार सरकार ने कोरोना से हुई मौतों का ऑडिट करवाया था, जिसके बाद नया आंकड़ा सामने आया है। पहले बिहार सरकार ने कोरोना से मौत की संख्या साढ़े पांच हजार के करीब बताई थी। ऑडिट के बाद इसमें 3900 मौतें जोड़ी गई हैं, जिससे यह आंकड़ा साढे नौ हजार से ऊपर पहुंच गया है।

इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि बिहार सरकार ने कोरोना से मौत का आंकड़ा कभी छिपाने का प्रयास नहीं किया। सरकार का मकसद है कि जिन लोगों की कोरोना से मौत हुई है, उनके परिजनों को सरकार की तरफ से दी जाने वाली आर्थिक मदद मिल पाए। इसीलिए सरकार ने पिछले 15 से 20 दिनों में जिला स्तर पर ऐसे लोगों की मौत का आंकड़ा इकट्ठा किया, जिनकी जान कोरोना और केंद्र की जारी गाइडलाइन के मुताबिक चली गई। उन्होंने कहा कि हम कभी भी आंकड़े छिपाना नहीं चाहते बल्कि लोगों तक मदद पहुंचाना चाहते हैं। लोगों को आर्थिक मदद देने के मकसद से ही जिला स्तर पर एक बार फिर मौत के आंकड़ों को इकट्ठा किया गया। अब जो आंकड़े सामने आए हैं, वह सार्वजनिक किए गए हैं। ऐसे में हेराफेरी जैसी बात का आरोप लगाना बेमानी है।

मृतकों की संख्या में बड़े पैमाने पर हेराफेरी

दरअसल, कोरोना के कहर के बीच बिहार सरकार हर दिन कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा जारी कर रही थी। सरकार के पास जिलों से रिपोर्ट भेजे जा रहे थे, उन्हें जोड़ कर मौत का पूरा आंकड़ा जारी किया जा रहा था। अब सरकारी जांच में पता चला कि जिलों से मृतकों की जो संख्या भेजी जा रही थी, उसमें  बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई। जिलों ने मृतकों की सही संख्या भेजी ही नहीं। लिहाजा गलत आंकड़े जारी किये गये। ऐसे में बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने आज स्वीकारा कि कोरोना से होने वाली मौत का सही आंकडा सामने नहीं आया था। उनके मुताबिक सरकार ने जब अपने स्तर से जांच कराई तो ये बात सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने गडबड़ी की और सही संख्या की जानकारी नहीं दी उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। 

दो स्तर पर की गई जांच में सामने आई सच्चाई

प्रत्यय अमृत ने बताया कि पिछले 18 मई को ही राज्य सरकार ने कोरोना से होने वाली मौत को लेकर जांच कराने का आदेश जारी किया था। इसके लिए जिलों में दो तरह की टीम बनाई गई थी। एक टीम में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ-साथ कॉलेज के मेडिसिन विभाग के हेड को रखा गया था। वहीं दूसरी टीम सिविल सर्जन के नेतृत्व में बनाई गई थी, जिसमें एक और मेडिकल ऑफिसर शामिल थे। दोनों स्तर पर जब जांच की गई तो पता चला कि मौत के आकड़ों को छिपाया गया है। सरकार को गलत जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है।

गड़बड़ी करने वाले खामियाजा भुगतेंगे

स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि जिन्होंने गड़बड़ी की है, उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि बहुत सारे लोगों की मौत होम आइसोलेशन में हो गई। बहुत सारे लोग संक्रमित होने के बाद दूसरे जिले में चले गये, जहां उनकी मौत हो गई। कई मौत अस्पताल ले जाने के क्रम में हुई। कुछ पोस्ट कोविड मौत भी हुई। ऐसे में उनका सही आंकड़ा नहीं मिल पाया। फिर भी बड़े पैमाने पर लापरवाही हुई है और इस पर कार्रवाई होगी। लेकिन कितने लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी और कब तक ये कार्रवाई होगी? इसपर उन्होंने चुप्पी साध ली।

लालू यादव ने नीतीश पर कसा तंज

उधर, आंकड़ों में हेराफेरी ने विपक्ष को बैठे बिठाए सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है। इस मामले पर जब राजनीतिक गर्म हुई तो राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी नीतीश कुमार पर तंज कसा है। उन्होंने नीतीश कुमार को आडे़ हाथ लेते हुए ट्वीट करते हुए कहा कि नीतीश अपना फर्ज भुला बैठे हैं। बन आंकड़ों का दर्जी, घटा-बढा दिया मनमर्जी, फर्ज भुला नीतीश बने फर्जी, अपार हुई जगहंसाई, फिर भी शर्म ना आई। लालू ने अपने ट्वीट के साथ एक अखबार की रिपोर्ट पेश की है। इससे पहले लालू के बेटे व नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार ही फर्जी है तो आंकडे़ भी तो फर्जी होंगे। ट्विटर पर तेजस्वी ने लिखा, नीतीश जी, इतना झूठ मत बोलिए और बुलवाइए कि उसके बोझ तले दबने के बाद कभी उठ ना पाएं। जब फंसे तो एकदम से एक दिन में 4000 मौतों की संख्या बढा दी। नीतीश सरकार मौतों का जो आंकड़ा बता रही है, उससे 20 गुणा अधिक मौतें हुई हैं।

 

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