निपाह वायरस के खौफ में हेल्थ वर्कर्स से दूर भाग रहे हैं लोग, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवायजरी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 25, 2018 09:18 AM2018-05-25T09:18:36+5:302018-05-25T09:18:36+5:30

निपाह वायरस कैसे फैलता है? जानें क्या है अफवाह और क्या है सच्चाई...

Nipah fear spread in society, health ministry issue advisory, all updates | निपाह वायरस के खौफ में हेल्थ वर्कर्स से दूर भाग रहे हैं लोग, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवायजरी

निपाह वायरस के खौफ में हेल्थ वर्कर्स से दूर भाग रहे हैं लोग, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवायजरी

कोच्चि, 25 मईः निपाह वायरस सिर्फ शारीरिक बीमारी नहीं बल्कि समाज की सोच को भी तेजी से जकड़ रहा है। वायरस प्रभावित इलाकों में लोग हेल्थ वर्कर से दूर भाग रहे हैं। शवदाह गृह में निपाह प्रभावित मृतकों के शव जलाने से बच रहे हैं। गौरतलब है कि अभी तक निपाह वायरस से 11 लोगों की मौत हो चुकी है। बुधवार को कोजिकोड़ के पेराम्बुरा तालुक हॉस्पिटल की एन नर्स ने जैसे ही बस में प्रवेश किया अन्य यात्रियों ने विरोध शुरू कर दिया। अधिकांश लोग बस से नीचे उतर आए। यहां तक कि रिक्शा चालकों ने उन्हें ले जाने से मना कर दिया। एक अन्य मामले में नदक्कवु पुलिस ने गुरुवार को शवदाह गृह में काम करने वाले दो लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। उन्होंने निपाह प्रभावित एक शव का दाह करने से इनकार कर दिया था।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवायजरी

कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में निपाह विषाणु के फैलने के डर के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम जनता और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए एडवायजरी जारी की है। इसमें यह बताया गया है कि इन्हें अति जोखिम वाले इलाकों में क्या एहतियाती कदम उठाने चाहिए और साथ ही यह जानकारी दी गई है कि यह बीमारी कैसे फैलती है और इसके क्या लक्षण होते हैं। 

मंत्रालय ने आम जनता को ताड़ी, जमीन पर पड़े पहले से खाए हुए फलों का सेवन करने और इस्तेमाल में ना लाए जा रहे कुओं में ना जाने तथा केवल ताजा फल खाने की सलाह दी है। इसमें कहा गया है कि बीमारी के कारण मारे गए लोगों के शवों का अंतिम संस्कार सरकारी परामर्श के अनुसार करना चाहिए और इस भावुक क्षण के दौरान बीमारी को परिवार के सदस्यों तक फैलने से रोकने के लिए विधि विधानों में बदलाव करने चाहिए। 

परामर्श में सूचना दी गई है कि चमगादड़, सूअर, कुत्ते, घोड़ों जैसे जानवरों में फैलने वाला निपाह विषाणु जानवरों से मनुष्यों में भी फैल सकता है और इससे कई बार मनुष्यों को गंभीर बीमारी भी हो सकती है। 

केरल में निपाह विषाणु से मरने वालों की संख्या 11 हुई

केरल में निपाह विषाणु से प्रभावित एक और व्यक्ति की गुरुवार को मृत्यु हो गयी। इस के साथ राज्य में इस खतरनाक विषाणु से मरने वालों की संख्या बढ़कर 11 हो गयी। कोझिकोड जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ . जयश्री ई ने संवाददाताओं को बताया कि मृतक की पहचान वी मूसा (61) के तौर पर हुई है। मूसा पिछले कुछ दिन से यहां के एक निजी अस्पताल में कुछ दिन से जीवन और मौत के बीच जूझ रहे थे। उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। 

उन्होंने बताया कि करीब 160 नमूनों को जांच के लिये वायरोलॉजी संस्थान भेजा गया है और 14 मामलों में इस विषाणु की पुष्टि हुई है। इनमें से 11 लोगों की मौत हो चुकी है। तीन लोगों का अस्पतालों का इलाज चल रहा है। पिछले 20 दिनों में मूसा के परिवार में हुई यह चौथी मौत है। इससे पहले मूसा के बेटों मोहम्मद सलेह (28), मोहम्मद सादिक (26) और उनकी रिश्तेदार मरिअम्मा की मौत हो चुकी है। 

सूत्रों ने बताया कि जहां परिवार के दो सदस्यों के निपाह के कारण मरने की पुष्टि हो चुकी है , मूसा के एक बेटे के खून के नमूने में निपाह का विषाणु नहीं पाया गया। स्वास्थ्य अधिकारियों ने मूसा के घर के परिसर में स्थित एक कुआं भी सील कर दिया जिसके बीमारी का केंद्र होने की बात कही जा रही है। ऐसा कुएं के चमगादड़ों से संक्रमित होने का पता चलने के बाद किया गया। हालांकि कुएं का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था। 

जिले के पेरम्बरा तालुक अस्पताल में मूसा के परिवार के लोगों का शुरूआत में इलाज करने वाली नर्स लिनी पुथुस्सेरी की भी विषाणु के संक्रमण के बाद मौत हो गयी। एक आधिकारिक सूचना के मुताबिक मरने वाले 11 लोगों में से आठ कोझिकोड के और तीन पड़ोसी जिले मल्लपुरम के हैं। 22 लोगों के भी विषाणु से संक्रमित होने का संदेह हैं। इनमें 13 कोझिकोड के , छह मल्लपुरम के , दो कोट्टायम के और एक तिरूवनंतपुरम के रहने वाले हैं। उनके खून के नमूने जांच के लिए भेज दिए गए हैं और उनके नतीजों का इंतजार किया जा रहा है। 

केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में निपाह विषाणु के प्रकोप को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए उपायों की समीक्षा की गयी। राज्य सरकार ने एक परामर्श भी जारी कर राज्य की यात्रा करने वाले सभी लोगों से चार जिलों - कोझिकोड, मलप्पुरम, वायनाड और कन्नूर - की यात्रा से बचने का अनुरोध किया है। 

स्वास्थ्य सचिव राजीव सदानंदन ने कहा , ‘‘केरल में किसी भी जगह यात्रा करना सुरक्षित है। हालांकि यदि यात्री अतिरिक्त सतर्कता बरतना चाहते हैं तो वे इन चार जिलों की यात्रा से बच सकते हैं। ’’ राज्य सरकार ने इस मसले पर विचार के लिये 25 मई को कोझिकोड में सर्वदलीय बैठक बुलायी है।

PTI-Bhasha Inputs

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