असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर लोअर सुबनसिरी पनबिजली परियोजना का रास्ता साफ करते हुये राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने बुधवार को इस परियोजना के अध्ययन के लिए बनी पर्यावरण मंत्रालय की समिति के पुनर्गठन की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
अधिकरण के प्रमुख न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि उसने 2000 मेगावाट वाली परियोजना पर गठित समिति के पूर्वाग्रहग्रस्त होने की दलील को सही ठहराने के लिये रिकॉर्ड में कोई सामग्री नहीं पायी है। इस पीठ में उनके अलावा न्यायमूर्ति एसपी वंगाड़ी और न्यायमूर्ति के रामाकृष्णन हैं।
इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता द्वय आभिजीत शर्मा और गुवाहाटी के तुलाराम गोगोई ने याचिका दायर करके समिति के पुनर्गठन की मांग की थी। इस मामले में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने दायर अपने शपथपत्र में कहा कि इस समिति में शामिल लोगों के नाम मंत्रालय ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग और दूसरे क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किए हैं। वे अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं और किसी तरह की दुर्भावना से प्रेरित नहीं हैं।