एनजीटी का चित्तौड़गढ़ में खनन पर लगी रोक हटाने से किया इनकार
By भाषा | Published: September 28, 2021 03:53 PM2021-09-28T15:53:09+5:302021-09-28T15:53:09+5:30
नयी दिल्ली, 28 सितंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राजस्थान के चितौड़गढ़ में बस्सी वन्यजी अभयारण्य के दस किलोमीटर के दायरे में खनन पर लगाई गयी रोक हटाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह ‘एहतियाती सिद्धांत’ के विरूद्ध है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) की सीमा के बाहर खनन के प्रभाव पर विशेषज्ञ समिति के निर्णय लेने तक यह पाबंदी जारी रहहेगी।
उसने कहा कि यह अध्ययन सात सदस्यीय संयुक्त समिति द्वारा किया जा सकता है जिसमें वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य वन्यजीव संरक्षक (राजस्थान), भारतीय खान विद्यालय, धनबाद, आईसीएआर -भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण स्थान, देहरादून, आईआईटी रूड़की, सीपीसीबी, प्रदेश पीसीबी के प्रतिनिधियों तथा चितौड़गढ़ के जिलाधिकारी होंगे।
एनजीटी ने समिति को एक महीने के अंदर पहली बैठक करने, संबंधित स्थल पर जाने एवं संबंधित पक्षों से बात करने का निर्देश दिया है।
समिति ने कहा कि समिति ऑनलाइन कार्यवाही कर सकती है और पहली बैठक के तीन महीने के अंदर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को रिर्पोट दे सकती है।
पीठ ने कहा कि अभयारण्य के दस किलोमीटर के दायरे में खनन पर लगी पाबंदी हटाने का अनुरोध एहतियाती सिद्धांत के विरूद्ध है, इसलिलए समिति का निर्णय आने तक पाबंदी जारी रहेगी।
पीठ ने कहा कि एहतियाती सिद्धांत कहता है कि यदि मानव और/ या पर्यावरण को खतरा है तो निष्कर्षात्मक या निश्चित वैज्ञानिक सबूत का अभाव कार्रवाई नहीं करने का कारण नहीं हो सकता है।
अधिकरण बिड़ला सीमेंट की इस दलील से सहमत नहीं हुआ कि ईएसजेड अधिसूचना के मद्देनजर एनजीटी के अंतरिम आदेश में संशोधन किया जाए या उसे हटाया जाए क्योंकि यह विषय उक्त अधिसूचना से संचालित है।
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