नयी दिल्ली, 21 मई राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि ज्यादा उत्खनन से पर्यावरण की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है। साथ ही, कहा कि प्रकृति के संसाधनों का इस्तेमाल वैज्ञानिक तरीके से होना चाहिए जिससे ना केवल मौजूदा पीढ़ी बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को भी इसका फायदा मिले।
अधिकरण ने तमिलनाडु में नदी के जलग्रहण क्षेत्र या बांधों से गाद निकालने पर पूर्ण पाबंदी लगाने से इनकार कर दिया। एनजीटी ने कहा कि प्रकृति द्वारा उपहार में दिए गए प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए पर्यावरण की रक्षा भी होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति के रामकृष्णन और विशेषज्ञ सदस्य के सत्यगोपाल की पीठ ने हालिया आदेश में कहा, ‘‘प्रकृति द्वारा उपहार में मिले प्राकृतिक संसाधनों के खनन के समय पर्यावरण की रक्षा करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। टिकाऊ विकास और पर्यावरण की रक्षा के बीच संतुलन बनाते हुए एहतियाती कदम उठाए जाने चाहिए। ’’
एनजीटी में कई याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है जिसमें दलीलें दी गयी हैं कि तूतिकोरीन जिले में श्रीवैकुंडम बांध से गाद निकालने के नाम पर अवैध खनन हो रहा है।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि वैज्ञानिक तरीके से गाद नहीं निकाला जा रहा जिसके कारण पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचने की आशंका है।
एनजीटी ने कहा कि मामले में पर्यावरण मंजूरी की जरूरत नहीं है लेकिन बांध या जलाशय या नदियों से गाद निकालने के नाम पर अवैध खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती।
पीठ ने राज्य सरकार को गाद निकालने, खनन वाले स्थानों पर सीसीटीवी लगाने के लिए कदम उठाने को कहा ताकि गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और अवैध खनन पर रोक लगे।
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