सीमा पर तनाव के बीच भारतीय सीमा पर बॉर्डर आउटपोस्ट बढ़ा रहा है नेपाल
By निखिल वर्मा | Published: June 16, 2020 08:42 AM2020-06-16T08:42:37+5:302020-06-16T09:19:52+5:30
भारत और नेपाल के बीच करीब 1750 किलोमीटर लंबी सीमा का 98 प्रतिशत हिस्सा रेखांकित है.दोनों पक्षों के बीच कालापानी तथा सुस्ता को लेकर मतभेद हैं.
सीमा पर चल रहे तनाव के बीच नेपाल ने भारत के साथ लगी सीमा पर 100 बॉर्डर आउट पोस्ट(बीओपी) बढ़ाने की योजना बनाई है। नेपाल की योजना वर्तमान में 121 बीओपी को बढ़ाकर 221 करने की है। नेपाल यह काम ऐसे समय करने जा रहा है जब लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को लेकर दोनों देशों में तनाव है। बीओपी मामले से परिचित लोगों ने कहा कि नेपाल बीओपी की संख्या 500 तक करने की योजना बना रहा है।
सशस्त्र सीमा बल (SSB)जो नेपाल के साथ भारत की सीमाओं की रक्षा करता है और भारत की केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को जानकारी है कि सीमा पर तैनात नेपाल की सशस्त्र पुलिस बल (APF) को पहले ही 100 बीओपी की स्वीकृति मिल चुकी हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, नेपाल के गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव और प्रवक्ता केदार नाथ शर्मा ने काठमांडू से एक फोन इंटरव्यू में तत्काल योजना की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, “हाँ, हम अगले नेपाली वित्तीय वर्ष में भारत-नेपाल सीमा पर बीओपी की संख्या मौजूदा 121 से बढ़ाकर 221 करने जा रहे हैं। मैं आगे की योजनाओं के बारे में कुछ नहीं कह सकता। ” अगला नेपाली वित्तीय वर्ष 16 जुलाई, 2020 से 15 जुलाई, 2021 तक है।
नेपाल एपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, देश की सीमा पर अपराध रोकने और अनाधिकृत व्यक्ति के प्रवेश को रोकने के लिए बीओपी की संख्या बढ़ाई जा रही है। दिलचस्प बात यह है कि कुछ चौकी लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के आसपास हैं, इन तीन क्षेत्रों पर नेपाल अब दावा कर रहा हैं।
भारत-नेपाल के बीच बढ़ा तनाव
दोनों देशों के संबंधों में तनाव उस समय आ गया जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का आठ मई को उद्घाटन किया था। नेपाल ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उसने कुछ दिन बाद देश का नया राजनीतिक नक्शा पेश किया जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्रों को अपने भूभाग में दिखाया गया है।
केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली कम्यूनिस्ट सरकार ने शनिवार को इस नए नक्शे को संसद के निचले सदन से सर्वसम्मति से पारित करा लिया था। वहीं भारत ने कड़े शब्दों में स्पष्ट कर दिया था कि “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश किए गए क्षेत्रीय दावे स्वीकार करने योग्य नहीं हैं।