स्वास्थ्य, कृषि क्षेत्र के लिए जीएसटी परिषद जैसे संघीय ढांचे की जरूरत: जेटली
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 29, 2018 19:23 IST2018-11-29T19:23:31+5:302018-11-29T19:23:31+5:30

स्वास्थ्य, कृषि क्षेत्र के लिए जीएसटी परिषद जैसे संघीय ढांचे की जरूरत: जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र के लिए जीएसटी परिषद जैसे एक संघीय ढांचे की जरूरत है. भारतीय उद्योग परिसंघ के स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने उम्मीद जताई कि स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐसा संघीय ढांचा बनाए जाने से कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में राज्यों से कम प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा.
फिर राज्यों को योजनाएं लागू करनी होंगी जबकि केंद्र सरकार उसमें केवल सहयोग करेगी. जेटली ने कहा, जीएसटी के मामले में संघीय ढांचे का प्रयोग कारगर रहा. ऐसे दो क्षेत्र और हैं जहां इस तरह के संघीय ढांचे की बहुत अधिक जरूरत है. उन्होंने कहा, जीएसटी के लिए संविधान ने यह व्यवस्था उपलब्ध कराई है लेकिन जिन क्षेत्रों के लिए संविधान ने यह सुविधा नहीं दी है, वहां राजनीतिक परिपक्वता से सरकारें इस प्रयोग को अमलीजामा पहना सकती हैं.
इस तरह की संघीय व्यवस्था की जरूरत पर बल देते हुए जेटली ने कहा कि अभी राज्य और केंद्र, दोनों ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी-अपनी योजनाएं चलाते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के अपने अस्पताल हैं, जबकि केंद्र सरकार पूरे देश में 'उत्कृष्ट संस्थान' स्थापित कर रही है. केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत लागू की है जबकि राज्यों के पास भी ऐसी ही योजनाएं हैं.
जेटली ने कहा कि इन सभी को मिलाए जाने की जरूरत है, ताकि इसके संयुक्त लाभ देश की बीमार आबादी को मिल सकें. हालांकि यह व्यवस्था कृषि क्षेत्र में कैसे लाभ पहुंचाएगी, इस बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी. राज्यों के हाथ ही रहेगी बागडोर निश्चित तौर पर इसका क्रियान्वयन राज्य ही करेंगे और केंद्र उसमें केवल सहयोग करेगा.
यदि संघीय ढांचा बन जाता है, तो फिर मेरी योजना तुम्हारी से बेहतर होने जैसे विषय विवाद का मुद्दा नहीं होंगे. यदि वास्तव में केंद्र और राज्यों के बीच इस तरह का एक संघीय ढांचा बनता है तो बेहतर समन्वय के चलते हर राज्य को फायदा होगा. उनके पास अधिक स्वास्थ्य सुविधाएं होंगी. आयुष्मान योजना पर भी उठे थे सवाल जेटली ने कहा, 'आयुष्मान भारत' योजना का जब खाका खींचा गया तो इस बात पर बहस हुई कि निजी अस्पताल कैसे मरीजों का इलाज कर सकते हैं.
अस्पतालों में मरीजों की भीड़ से कैसे निपटा जाएगा. इस योजना को सितंबर में लागू किया गया जहां प्रत्येक परिवार को वार्षिक आधार पर पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा मुफ्त मिलता है. पिछले डेढ़ महीने में इस योजना से करीब तीन लाख गरीब लोग फायदा उठा चुके हैं.