बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने इस चुनाव में जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखा है. भाजपा ने जहां एक बार फिर अपने परंपरागत वोट बैंक यानी अगड़े (सामान्य) उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है, वहीं जदयू ने पिछड़ों और अति पिछड़े उम्मीदवारों के भरोसे चुनावी नैया पार करने की कोशिश की है.
एनडीए में शामिल लोजपा ने अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है. वहीं, एनडीए ने सिर्फ एक अल्पसंख्यक को अपना उम्मीदवार बनाया है.
राजग के उम्मीदवारों की सूची में जातिगत समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. एनडीए ने सभी जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है. एनडीए की ओर से घोषित उम्मीदवारों में 19 अति पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति से आते हैं. सबसे ज्यादा जदयू ने इस वर्ग से आने वाले 12 लोगों को टिकट थमाया है जबकि भाजपा ने इस वर्ग से आने वाले सात लोगों को चुनावी मैदान में उतारा है.
इसी तरह एनडीए ने अनुसूचित जाति से आने वाले छह लोगों को उम्मीदवार बनाया है. एनडीए ने सामान्य जाति से 13 लोगों को प्रत्याशी बनाया है. इसमें सबसे ज्यादा राजपूत जाति के सात, ब्राह्मण जाति से दो, भूमिहार जाति से तीन और कायस्थ जाति से एक व्यक्ति को टिकट दिया गया है. एनडीए की ओर से जदयू ने सिर्फ किशनगंज से एक अल्पसंख्यक को टिकट दिया है.