नम आंखों से राष्ट्र ने दी अंतिम विदाई, पत्नी संग पंचतत्व में विलीन हुए जनरल रावत
By भाषा | Updated: December 10, 2021 21:14 IST2021-12-10T21:14:18+5:302021-12-10T21:14:18+5:30

नम आंखों से राष्ट्र ने दी अंतिम विदाई, पत्नी संग पंचतत्व में विलीन हुए जनरल रावत
नयी दिल्ली, 10 दिसंबर शोक में डूबे राष्ट्र ने नम आंखों से प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत को शुक्रवार को अंतिम विदाई दी। यहां दिल्ली छावनी स्थित बरार स्क्वेयर अंत्येष्टि स्थल पर जनरल रावत और उनकी पत्नी के पार्थिव शरीर को उनकी बेटियों ने एक ही चिता पर मुखाग्नि दी जिसके बाद दोनों की पार्थिव देह पंचतत्व में विलीन हो गईं। बुधवार को, तमिलनाडु के कुन्नूर के पास एक एमआई17वी5 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से जनरल रावत (63), उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्यकर्मियों का निधन हो गया था।
मंत्रोच्चार के बीच जनरल रावत और उनकी पत्नी का अंतिम संस्कार पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ किया गया। निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार, सेना के बैंड की धुन के साथ उन्हें 17 तोपों की सलामी दी गई।
उनकी दोनों बेटियों-तारिणी और कृतिका ने अंतिम संस्कार से संबंधित रस्मी अनुष्ठान किए। लाखों लोगों ने टेलीविजन पर इस भावुक कर देने वाले क्षण को देखा।
अंत्येष्टि स्थल के पास लोगों का हुजूम मौजूद था। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री किरेन रिजिजू, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन और भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस भी भारत के पहले सीडीएस के अंतिम संस्कार के समय उपस्थित थे।
अंतिम यात्रा के लिए 2233 फील्ड रेजिमेंट ने रस्मी तोपगाड़ी उपलब्ध कराई। सीडीएस के अंतिम संस्कार में सेना के तीनों अंगों से लगभग 800 सैन्यकर्मी शामिल हुए। कई देशों के सैन्य अधिकारियों ने भी जनरल रावत और उनकी पत्नी को श्रद्धांजलि दी।
इससे पहले, सीडीएस जनरल रावत की अंतिम यात्रा में उमड़े लोगों के हुजूम ने ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’, ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, रावत जी का नाम रहेगा’ और ‘जनरल रावत अमर रहें’ जैसे नारे लगाकर अपने प्रिय महान सैनिक को अंतिम विदाई दी।
जनरल रावत की अंतिम यात्रा यहां उनके आधिकारिक आवास से शुरू हुई। रास्ते में हजारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। आम लोग हाथों में तिरंगा लिए फूलों से सजे उस वाहन के साथ दौड़ते नजर आए जिसमें जनरल रावत और उनकी पत्नी के पार्थिव शरीर रखे हुए थे। रास्ते में लोगों ने अपने वाहन रोककर भी देश के सबसे बड़े सैन्य अधिकारी को नम आंखों से विदाई दी।
हेलीकॉप्टर हादसे में देश के पहले सीडीएस, उनकी पत्नी और 11 अन्य सैन्यकर्मियों के निधन के बाद पूरे देश में शोक का माहौल है। अब तक 13 में से तीन शवों की ही शिनाख्त हो पाई है। तिरंगे में लिपटे ताबूत में रखे जनरल रावत के अवशेषों को जैसे ही फूलों से सजी तोपगाड़ी में गाड़ी रखा गया, लोगों ने फूलों की पंखुड़ियों की बौछार की और ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ और ‘जनरल रावत अमर रहें’ जैसे नारे लगाए।
भारत के पहले सीडीएस के रूप में, जनरल रावत को सेना के तीनों अंगों के बीच थिएटर कमान स्थापित करने और संयुक्तता लाने का काम सौंपा गया था।
जनरल रावत और उनकी पत्नी के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाए जाने से पहले उनके आधिकारिक आवास में रखा गया था, ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें।
देश की विभिन्न हस्तियों ने जनरल रावत के आधिकारिक आवास 3, कामराज मार्ग पहुंचकर उनके और उनकी पत्नी के अंतिम दर्शन किए तथा उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, कई केंद्रीय मंत्रियों और राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं, धार्मिक गुरुओं, संतों और कई सांसदों ने रावत और उनकी पत्नी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, जनरल रावत और उनकी पत्नी की अस्थियों को शनिवार को हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित किए जाने की योजना है।
जनरल रावत की छोटी बेटी तारिणी ने पीटीआई-भाषा से कहा, "हम कल उनकी अस्थियां लेकर हरिद्वार जाएंगे।"
सीडीएस जनरल रावत के छोटे भाई एवं पूर्व सैन्य अधिकारी विजय रावत ने भी कहा, ‘‘हम कल उनकी अस्थियों को हरिद्वार ले जाएंगे। हम परिवार के सदस्य उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने जाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘"वेलिंगटन में समारोह में शामिल होने के लिए तमिलनाडु जाने से पहले मैंने उनसे बात की थी। कभी नहीं सोचा था कि किस्मत उन्हें हमसे दूर ले जाएगी।’’
वहीं, जनरल रावत के साले यशवर्धन सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, "जनरल रावत और मेरी बहन दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। हम कल सुबह सुबह एक 'कलश' में अस्थियां उठाएंगे तथा फिर हरिद्वार जाएंगे जहां अस्थियों को पवित्र गंगा में विसर्जित किया जाएगा और कुछ अनुष्ठान किए जाएंगे।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।