पुलिस के साथ आधार डेटा साझा करने पर विचार करेगी मोदी सरकार, अपराध का पता लगाने में मिलेगी मदद

By भाषा | Published: June 21, 2018 10:24 PM2018-06-21T22:24:00+5:302018-06-21T22:24:00+5:30

मंत्री राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के निदेशक ईश कुमार के सुझावों को लेकर बोल रहे थे। कुमार ने सम्मेलन में कहा था कि पहली बार अपराध करने वाले लोगों को पकड़ने और अज्ञात शवों की पहचान करने के लिए पुलिस को आधार ब्यौरा सीमित तौर पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

narendra modi govt will discuss about sharing Aadhar data with police for crime detection | पुलिस के साथ आधार डेटा साझा करने पर विचार करेगी मोदी सरकार, अपराध का पता लगाने में मिलेगी मदद

पुलिस के साथ आधार डेटा साझा करने पर विचार करेगी मोदी सरकार, अपराध का पता लगाने में मिलेगी मदद

हैदराबाद, 21 जून: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने गुरुवार को कहा कि केंद्र पहली बार अपराध करने वाले लोगों से जुड़े अपराध के मामले सुलझाने और अज्ञात शवों की पहचान करने के लिए पुलिस के साथ आधार ब्यौरा साझा करने के अनुरोध पर विचार करेगा। उन्होंने यहां फिंगर प्रिंट्स ब्यूरो के निदेशकों के 19वें अखिल भारतीय सम्मेलन में कहा कि आधार से जुड़ी सूचना साझा करने और कैदी पहचान अधिनियम में संशोधनों को मंजूरी देने से संबंधित सुझावों पर मंत्रालय में चर्चा की जाएगी।

मंत्री राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के निदेशक ईश कुमार के सुझावों को लेकर बोल रहे थे। कुमार ने सम्मेलन में कहा था कि पहली बार अपराध करने वाले लोगों को पकड़ने और अज्ञात शवों की पहचान करने के लिए पुलिस को आधार ब्यौरा सीमित तौर पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

अहीर ने साथ ही कहा कि फिंगर प्रिंट्स ब्यूरो की डेटा स्टोरेज क्षमता आधुनिकीकरण के साथ बढ़ायी जानी चाहिए और सरकार प्राथमिकता देते हुए इसपर विचार करेगी। बाद में कुमार के सुझाव को लेकर संवाददाताओं के सवाल करने पर मंत्री ने कहा, 'हम इसे लेकर कोशिश करेंगे...यह काफी महत्वपूर्ण लगता है।'

कुमार ने यहां फिंगर प्रिंट्स ब्यूरो के निदेशकों के 19वें अखिल भारतीय सम्मेलन में कहा कि इस समय देश में हर साल करीब 50 लाख मामले दर्ज किए जाते हैं और उनमें से ज्यादातर पहली बार अपराध करने वाले लोगों द्वारा अंजाम दिए जाते हैं। ऐसे लोग अपनी अंगुलियों के निशान छोड़ जाते हैं जिसका पुलिस के पास रिकॉर्ड नहीं होता।

निदेशक ने कहा, 'जांच के लिए पुलिस को आधार ब्योरा उपलब्ध कराया जाना चाहिए। यह जरूरी है क्योंकि 80 से 85 प्रतिशत मामले पहली बार अपराध करने वाले लोगों से जुड़े होते हैं जिनका पुलिस के पास रिकॉर्ड नहीं होता। लेकिन, अपराध करते समय वे अपने अंगुलियों के निशान छोड़ देते हैं। इसलिए आधार तक सीमित पहुंच देने की जरूरत है ताकि हम उन्हें पकड़ सकें।' 

कुमार ने कहा कि इसी तरह हर साल 40,000 अज्ञात शव बरामद होते हैं। आधार ब्योरा उपलब्ध होने पर उनका पता किया जा सकता है और फिर शव उनके परिजनों को सौंपे जा सकते हैं। निदेशक ने कहा कि हालांकि (आधार से जुड़ा) मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, उन्होंने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर (जो बैठक में मौजूद थे) से विषय पर गौर करने का अनुरोध किया है।

Web Title: narendra modi govt will discuss about sharing Aadhar data with police for crime detection

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