भारत सरकार ने "मेक इन इंडिया" के तहत विदेशी हथियार निर्माताओं की मदद से बनने वाले 114 सिंगल-इंजन फाइटर विमानों को बनाने का दो साल पुरानी योजना रद्द कर दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 1.15 लाख करोड़ रुपये थी। नरेंद्र मोदी सरकार पिछले कुछ हफ्तों से 59 हजार करोड़ रुपये के राफेल लड़ाकू विमानों की डील को लेकर विपक्ष के निशाने पर है।
टाइम्स ऑफ इंडिया को सूत्रों ने बताया कि भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के फाइटर स्क्वार्डन की संख्या 31 तक रखने का निर्देश दिया है। वायु सेना के एक स्क्वार्डन में 18 जेट होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार वायु सेना ने पाकिस्तान और चीन से साझा खतरे के मद्देनजर कम से कम 42 स्क्वार्डन की जरूरत व्यक्त की थी। भारतीय वायु सेना अब केंद्र सरकार को सिंगल-इंजन और ट्विन-इंजन लड़ाकू विमानों से जुड़ा नया प्रस्ताव भेजेगी।
सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मूल योजना में केवल सिंगल-इंजन लड़ाकू विमान बनाने की बात थी जिसकी वजह मूल प्रतिस्पर्धा मात्र दो जेट विमानों (अमेरिकी एफ-16 और स्वीडिश ग्राइपेन-ई) के बीच रह गई थी। रक्षा मंत्रालय की मंशा इस प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है ताकि बाद में आरोप-प्रत्यारोप न हो।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार पुराने प्रस्ताव के अनुसार अमेरिकी फाइटल विमान एफ-16 का निर्माता लॉकहीड मार्टिन भारतीय कंपनी टाटा एडवांस डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड के साथ मिलकर, स्वीडिश हथियार कंपनी एसएएबी अडानी समूह के साथ मिलकर भारत के रक्षा मंत्रालय की "रणनीतिक साझीदारी" के तहत लड़ाकू विमान बनाने वाले थे।
इस निर्मला सीतारमन देश की रक्षा मंत्री हैं। सीतारमन देश की पहली पूर्णकालिक रक्षा मंत्री हैं। सीतारमन ने मनोहर पर्रिकर से रक्षा मंत्रालय की कमान ली थी। मई 2014 में जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री ते तब अरुण जेटली को वित्त मंत्रालय के साथ रक्षा मंत्रालय का भी कार्यभार सौंपा गया था। बाद में गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को रक्षा मंत्री बनाया गया। गोवा में पिछले साल बीजेपी की दोबारा गठबंधन सरकार बनी तो पर्रिकर फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने जिसके बाद देश की सुरक्षा की कमान सीतारमन के हाथों में सौंपी गई।