नई शिक्षा नीति पर मोदी सरकार के खिलाफ 'लामबंद' हुआ दक्षिण भारत, बदलना पड़ा मसौदा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 4, 2019 08:33 IST2019-06-04T08:33:58+5:302019-06-04T08:33:58+5:30

नई शिक्षा नीति के मसौदे के नियम-पी4 5.9 में पहले जहां यह लिखा गया था कि हिंदी, अंग्रेजी और एक स्थानीय या राज्य की मातृ भाषा पढ़नी होगी. वहीं अब इस नियम में संशोधन कर कहा गया है कि आधुनिक भाषा के साथ भाषाई महत्व को देखते हुए अपनी पसंद की मातृभाषा या अन्य भाषा को लेने की छूट होगी.

narendra modi government has changed the draft of the new education policy After the protest in South india | नई शिक्षा नीति पर मोदी सरकार के खिलाफ 'लामबंद' हुआ दक्षिण भारत, बदलना पड़ा मसौदा

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Highlightsदक्षिण भारत के सभी स्थानीय दलों के भाजपा सरकार के खिलाफ 'लामबंद' होने से चिंतित भाजपा सरकार ने नई शिक्षा नीति के मसौदे में बदलाव कर दिया है.तमिलनाडु में द्रमुक और अन्य दलों ने नई शिक्षा नीति के मसौदे में त्रिभाषा फॉर्मूले का विरोध किया था.पहले के मसौदे में समिति ने गैर हिंदी प्रदेशों में हिंदी की शिक्षा को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया था.

नई शिक्षा नीति पर बढ़े राजनीतिक विरोध और खासकर इसकी वजह से दक्षिण भारत के सभी स्थानीय दलों के भाजपा सरकार के खिलाफ 'लामबंद' होने से चिंतित भाजपा सरकार ने नई शिक्षा नीति के मसौदे में बदलाव कर दिया है. उस प्रारूप को बदल दिया गया है जिसमें हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ाई की वकालत की गई थी. मसौदे के संशोधन में अब अन्य भाषाओं में भी पढ़ाई का इरादा व्यक्त किया गया है. इसे सरकार ने औपचारिक रूप से मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर भी जारी कर दिया है.

नई शिक्षा नीति के मसौदे के नियम-पी4 5.9 में पहले जहां यह लिखा गया था कि हिंदी, अंग्रेजी और एक स्थानीय या राज्य की मातृ भाषा पढ़नी होगी. वहीं अब इस नियम में संशोधन कर कहा गया है कि आधुनिक भाषा के साथ भाषाई महत्व को देखते हुए अपनी पसंद की मातृभाषा या अन्य भाषा को लेने की छूट होगी. संशोधित पैरा में हिंदी और अंग्रेजी भाषा के नाम को हटा दिया गया है. इसके अलावा तीसरी भाषा के तौर पर वैकल्पिक भाषा चुनने का विकल्प दिए जाने की बात कही गई है.

तमिलनाडु में द्रमुक और अन्य दलों ने नई शिक्षा नीति के मसौदे में त्रिभाषा फॉर्मूले का विरोध किया था और आरोप लगाया था कि यह हिंदी भाषा थोपने जैसा है. बहरहाल, नई शिक्षा नीति के संशोधित मसौदे में कहा गया है कि जो छात्र पढ़ाई जाने वाली तीन भाषाओं में से एक या अधिक भाषा बदलना चाहते हैं, वे ग्रेड 6 या ग्रेड 7 में ऐसा कर सकते हैं, जब वे तीन भाषाओं (एक भाषा साहित्य के स्तर पर) में माध्यमिक स्कूल के दौरान बोर्ड परीक्षा में अपनी दक्षता प्रदर्शित कर पाते हैं.

पहले के मसौदे में समिति ने गैर हिंदी प्रदेशों में हिंदी की शिक्षा को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया था. इस मुद्दे पर तमिलनाडु में द्रमुक सहित कई अन्य दलों ने भारी विरोध शुरू कर दिया था. द्रमुक के राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा और मक्कल नीधि मैयम नेता व अभिनेता कमल हासन ने इसे लेकर विरोध जाहिर किया है. तिरुचि शिवा ने केंद्र सरकार को आगाह करते हुए कहा था कि हिंदी को तमिलनाडु में लागू करने की कोशिश करके केंद्र सरकार आग से खेलने का काम कर रही है.

वहीं, कमल हसन ने कहा था कि उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में अभिनय किया है और उनके विचार से, हिंदी भाषा को किसी पर भी थोपा नहीं जाना चाहिए. दूसरी ओर, स्कूलों में त्रिभाषा फॉर्मूले संबंधी नई शिक्षा नीति के मसौदे पर उठे विवाद के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने रविवार को स्पष्ट किया था कि सरकार अपनी नीति के तहत सभी भारतीय भाषाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और किसी प्रदेश पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी.

उन्होंने कहा, ''हमें नई शिक्षा नीति का मसौदा प्राप्त हुआ है, यह रिपोर्ट है. इस पर लोगों एवं विभिन्न पक्षकारों की राय ली जाएगी, उसके बाद ही कुछ होगा. कहीं न कहीं लोगों को गलतफहमी हुई है.''

Web Title: narendra modi government has changed the draft of the new education policy After the protest in South india

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