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नंदिनी बनाम अमूल: जयराम रमेश ने कहा, "कांग्रेस बीजेपी के 'वन नेशन-वन मिल्क' सपने को पूरा नहीं होने देगी"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: April 12, 2023 16:41 IST

कर्नाटक विधानसभा चुनाव नंदिनी बनाम अमूल विवाद के इर्दगिर्द सिमटता जा रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस इस विवाद में खासा दिलचस्पी ले रही है और प्रदेश कांग्रेस के मुखिया डीके शिवकुमार, सिद्धारमैया सहित पूरी कांग्रेस आरोप लगा रही है कि भाजपा सरकार अमूल के जरिये एएमएफ के ब्रांड नंदिनी को खत्म करना चाहती है।

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ठळक मुद्देकर्नाटक विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बना नंदिनी बनाम अमूल विवाद कांग्रेस आरोप लगा रही है कि भाजपा सरकार एएमएफ के ब्रांड नंदिनी को खत्म करना चाहती हैकांग्रेस ने कहा कि वो कर्नाटक में भाजपा के 'वन नेशन-वन मिल्क' अभियान को सफल नहीं होने देगी

दिल्ली: नंदिनी बनाम अमूल विवाद कर्नाटक विधानसभा चुनाव की धुरी बनता जा रहा है। सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस-जेडीएस के बीच गुजरात के आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (अमूल) के बेंगलुरु के बाजार में प्रवेश करना सियासी मुद्दा बन गया है। वैसे अगर आंकड़ों के लिहाज से देखें तो कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) से रोजगार प्राप्त करने वाले लगभग 26 लाख दुग्ध किसानों में ज्यादातर दक्षिणी कर्नाटक से आते हैं, जहां जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) का प्रभाव माना जाता है लेकिन बावजूद इसके कांग्रेस इस विवाद में खासा दिलचस्पी ले रही है और प्रदेश कांग्रेस के मुखिया डीके शिवकुमार सहित सिद्धारमैया सहित पूरी कांग्रेस आरोप लगा रही है कि भाजपा सरकार एएमएफ के ब्रांड नंदिनी को खत्म करना चाहती है।

यही कारण है कि कर्नाटक कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान 'नंदिनी बनाम अमूल' विवाद को अभियान बना लिया है और भाजपा के राज्य से लेकर शीर्ष नेतृत्व के नेताओं को लपेटने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस का स्पष्ट कहना है कि वो किसी भी कीमत पर कर्नाटक में भाजपा के 'वन नेशन-वन मिल्क' अभियान को सफल नहीं होने देगी।

समाचार वेबसाइट डेक्कन हेराल्ड के अनुसार कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि भाजपा गुजरात के अमूल ब्रांड को कर्नाटक में इस तरह से पेश कर रही है कि उससे कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के ब्रांड नंदिनी को जबरदस्त नुकसान पहुंचेगा और अंततः अमूल में केएमएफ का विलय हो जाएगा। भाजपा का इरादा न केवल गुजरात बल्कि कर्नाटक समेत देश के तमाम डेयरी संघों को भाजपा की राजनीतिक शाखा के रूप में परिवर्तित करने का लक्ष्य है।

कांग्रेस पार्टी की ओर से जयराम रमेश ने बुधवार को एक बयान जारी करके आरोप लगाया कि केंद्रीय सहकारिता और गृह मंत्री अमित शाह सहकारी समितियों पर भाजपा के नियंत्रण का प्रयास कर रहे हैं, जिसका कांग्रेस तगड़ा विरोध करेगी कांग्रेस कभी भी भाजपा को 'वन नेशन-वन मिल्क' का नारा नहीं लगाने देगी

कांग्रेस के अनुसार अमि शाह नंदिनी पर दबाव बना रहे हैं कि वो अमूल के साथ सहयोग करे, जिससे अमूल कर्नाटक में अपने बाजार का विस्तार करे और फिर नंदिनी का अमूल में विलय करा दिया जाएगा। जयराम रमेश ने कहा कि भाजपा ने केएमएफ के साथ इस साजिश से पहले कर्नाटक के सहकारी बैंकों को खत्म किया। सबसे पहले कर्नाटक के विजया बैंक को घाटे में चल रहे बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय कर दिया गया। उसके बाद स्टेट बैंक ऑफ मैसूर का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में विलय किया गया और फिर कॉर्पोरेशन बैंक को यूनियन बैंक में विलय कर दिया गया आलम यह है कि कर्नाटक के सहकारी बैंक पूरी तरह से खत्म हो गये और वहां पर सिर्फ एक सहकारी बैंक बचा हुआ है।

जयराम रमेश ने कहा, "किसी भी सहकारी संस्था का निर्णय दिल्ली में बैठकर अमित शाह कर रहे हैं। फिर चाहे वो निर्णय बेंगलुरु के बारे में हो, भुवनेश्वर के बारे में, चेन्नई या पुणे के बारे में हो। दिल्ली के लिये फैसलों से राज्यों के डेयरी किसानों की स्थिति कमजोर होग और आखिरकार उन्हें बेरोजगारी की ओर धकेल देगी।"

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दशकों से सहकारी समितियों के विकेन्द्रीकृत विकास का सपना देखा था और उस दिशा में काम किया था। उसके कारण करोड़ों डेयरी किसानों को सशक्त किया गया था लेकिन उस अवधारणा के उलट अमित शाह ने सबकुछ केंद्रीकृत कर दिया है और सब कुछ सीधे अपने नियंत्रण में ले लिया है। यही कारण है कि अमित शाह की इच्छानुसार अमूल पांच अन्य सहकारी समितियों के साथ विलय करके एक बहु-राज्यीय सहकारी समिति बनाएगी, जिसमें दो लाख ग्रामीण डायरियां शामिल होंगी और उनका सीधा नियंत्रण भाजपा के हाथों में होगा 

टॅग्स :कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023Jairam Rameshअमित शाहअमूल डेयरीकांग्रेसBJPCongress
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