‘वर्क फ्रॉम होम’ के दौरान बढ़े आपसी सहमति से तलाक के मामले, पारिवारिक न्यायालय में हर दिन औसतन 2 याचिकाएं...
By सौरभ खेकडे | Published: March 1, 2022 07:20 PM2022-03-01T19:20:15+5:302022-03-01T19:21:51+5:30
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में नागपुर के पारिवारिक न्यायालय में ‘म्यूचुअल डिवोर्स’ याचिकाओं की संख्या बीते 5 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ गई.
नागपुरः वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के कारण लागू हुए लॉकडाउन ने केवल लोगों की ‘प्रोफेशनल लाइफ’ ही खराब नहीं की, बल्कि निजी जीवन पर भी व्यापक असर डाला. ‘वर्क फ्रॉम होम’ कल्चर के दौरान घरेलू हिंसा बढ़ने की पुष्टि तो राष्ट्रीय महिला आयोग पहले ही कर चुका है.
लेकिन अगर पारिवारिक न्यायालयों के आंकड़ें खंगाले तो पता चलता है कि इस दौरान सहमति से अपनी राहें अलग करने वालों की संख्या भी कम नहीं है. लोकमत समाचार को प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में नागपुर के पारिवारिक न्यायालय में ‘म्यूचुअल डिवोर्स’ याचिकाओं की संख्या बीते 5 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ गई. जनवरी से अक्तूबर 2021 की अवधि में नागपुर के पारिवारिक न्यायालय में कुल 787 याचिकाएं यानी हर दिन औसतन 2 याचिकाएं दायर हुई.
वर्ष- दायर याचिकाएं- निपटारा की गई
2017-645-636
2018-663-696
2019-743-647
2020-528-494
2021-787-743
ये है मुख्य कारण:
‘म्यूचुअल डिर्वाेस’ झंझट मुक्त है...
मेरा अपनी पत्नी के साथ तालमेल नहीं बन पाया. आपस में असहमतियां थी, एक दूसरे के साथ रह पाना मुश्किल हो गया था. बात इतनी बिगड़ गई थी कि हमारी एक साथ रहने की गुंजाइश नहीं बची थी. काफी कानूनी पचड़ों के बाद दोनों पक्षों ने आपस में सहमति बनाई और म्यूचुअल डिवोर्स अर्जी दायर की, जहां उन्हें आसानी से तलाक मिल गया.
मुझे याद है उस दिन कोर्ट में उस दिन हमारी ही तरह म्यूचुअल डिवोर्स के 3-4 मामले और थे. - अंकित (परिवर्तित नाम) > वर्क फ्रॉम होम में बढ़े आंकड़े सामान्य दिनों में जब नई शादी होती है तो दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ, हनीमून पीरियड और बाहर घूमने-फिरने की आजादी के कारण नव-दंपत्तियों के संबंध गहरे होते हैं.
लेकिन वर्क फ्रॉम होम के कल्चर में में 24 घंटे अपने घरों में कैद रह कर एक दूसरे के साथ युवा तालमेल नहीं बिठा सके. इसलिए वर्ष 2020-21 में म्यूचुअल डिवोर्स के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं. - शर्मिला चरलवार, अधिवक्ता नागपुर पारिवारिक न्यायालय