नागपुरः पत्नी से नौकरी करने को कहना घरेलू हिंसा नहीं महिला सशक्तिकरण, जानिए पूरा मामला
By सौरभ खेकडे | Published: February 18, 2022 07:55 PM2022-02-18T19:55:52+5:302022-02-18T19:56:52+5:30
नागपुर के पारिवारिक न्यायालय ने एक 31 वर्षीय महिला की अर्जी पर उसे यह नसीहत दी है. अपने पति से अलग रह रही इस उच्च शिक्षित महिला ने पति से मेंटेनेंस के लिए पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दायर की थी.
नागपुरःएक पति द्वारा अपनी पत्नी को दोबारा नौकरी शुरू करने काे कहना घरेलू हिंसा नहीं माना जा सकता. उलट यह दर्शाता है कि पति अपनी पत्नी का सशक्तिकरण और विकास चाहता है.
यह तो अच्छी बात है कि पति पत्नी को उसके पैरों पर खड़े होने को प्रेरित कर रहा है. नागपुर के पारिवारिक न्यायालय ने एक 31 वर्षीय महिला की अर्जी पर उसे यह नसीहत दी है. अपने पति से अलग रह रही इस उच्च शिक्षित महिला ने पति से मेंटेनेंस के लिए पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दायर की थी.
लेकिन सुनवाई में सिद्ध हुआ कि वह मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की नौकरी करके अच्छा वेतन पा रही है. हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार अगर ऐसे मामले में घरेलू हिंसा साबित नहीं होती, तो पत्नी आर्थिक मदद पाने की भी हकदार नहीं है.
बहुत कम मामलों में खारिज होती है मेंटेनेंस की अर्जी
पति के अधिवक्ता श्याम आंभोरे के अनुसार पारिवारिक न्यायालय की दृष्टि से बहुत कम ऐसे मामले होते हैं, जिनमें किसी महिला द्वारा दायर मेंटेनेंस की अर्जी खारिज होती है. गौरतलब है कि नागपुर निवासी इस दंपति का विवाह मई 2015 में हुआ था. विवाह के बाद से ही दोनों के संबंध अच्छे नहीं थे.
पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय में दायर अपनी अर्जी में पति और 65 वर्षीय सास पर घरेलू हिंसा के आरोप लगाए थे. लेकिन महिला किसी भी आरोप को सिद्ध नहीं कर सकी. न्यायालय ने माना कि उसके आरोप उल-जुलूल है और किसी भी तरह से घरेलू हिंसा की ओर इशारा नहीं करते.
एक नजर..
महिला के ये आरोप थे
> पति दोबारा नौकरी शुरू करने का दबाव डाल रहा है.
> सास सुबह 5 बजे उठा कर घर के काम करवाती है.
न्यायालय की नसीहत
> नौकरी शुरू करने को कहना दर्शाता है कि पति अपनी पत्नी का सशक्तिकरण और विकास चाहता है.
> यह घरेलू हिंसा नहीं है. चिकित्सक भी सुबह जल्द उठने की सलाह देते हैं. घर के काम करना परिवार के सभी सदस्यों की संयुक्त जिम्मेदारी है.