हादसे के वक्त वाहन चालक के पास नहीं था ड्राइविंग लाइसेंस, फिर भी मृतक के परिवार को मिलेगा मुआवजा, जानें पूरा मामला
By सौरभ खेकडे | Published: February 25, 2022 05:48 PM2022-02-25T17:48:29+5:302022-02-25T17:48:29+5:30
बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सड़क हादसे में जान गंवाने वाली एक महिला के परिवार को मुआवजा देने का निर्देश इंश्योरेंस कंपनी को दिया है. इंश्योरेंस कंपनी की दलील थी कि हादसे के वक्त वाहन चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, इसलिए परिवार को मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए.
नागपुर: बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सड़क हादसे में जान गवांने वाली एक महिला के परिवार को 3.40 लाख रूपए के मुआवजे का हकदार माना है. इस प्रकरण में इंश्योरेंस कंपनी इसलिए मुआवजा देने का विरोध कर रही थी, क्योंकि हादसे के वक्त वाहन चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था.
इंश्योरेंस कंपनी ने हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
5 जून 2011 को नागपुर की कुही निवासी बेबीबाई मंढारे को एक मेटाडोर वाहन ने रौंद दिया था. इससे उनकी मृत्यु हो गई थी. पीड़ित परिवार ने मुआवजे के लिए सर्वप्रथम मोटर व्हियकल एक्सिडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल की शरण ली. ट्रिब्यूनल ने पीड़ित परिवार को 3.40 लाख रूपए का मुआवजा 7.5 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने के आदेश दिए. इस आदेश को हालांकि इंश्योरेंस कंपनी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी.
इंश्योरेंस कंपनी की दलील थी कि हादसे के वक्त वाहन चला रहे चालक के नाम पर कोई ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था. यह सरासर इंश्योरेंस की शर्तों का उल्लंघन हुआ है. इसलिए इंश्योरेंस कंपनी मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है.
मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हालांकि हाईकोर्ट ने माना कि इंश्योरेंस कंपनी अपने दावे को सिद्ध करने के लिए कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं कर सकी है क्योंकि इस मामले में पुलिस ने वाहन चालक पर केवल लापरवाही से गाड़ी चलाने का मुकदमा दर्ज किया. अगर उसके पास लाइसेंस नहीं था, तो मोटर व्हियकल अधिनियम के अनुसार उस पर बगैर लाइसेंस गाड़ी चलाने का मामला भी दर्ज होना चाहिए था.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में इंश्योरेंस कंपनी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. कंपनी की याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने पीड़ित परिवार को मुआवजा देने के आदेश दिए है.