नक्सल समर्थक पर नहीं हटेगा मकोका, हथियार पहुंचाते वक्त पकड़ा गया, विशेष सत्र न्यायालय का फैसला
By सौरभ खेकडे | Published: February 24, 2022 04:10 PM2022-02-24T16:10:32+5:302022-02-24T16:12:02+5:30
बिहार निवासी व्यक्ति पर सामान्य फौजदारी प्रकरण चलाने से न्यायालय ने इनकार कर दिया है. न्यायलय ने माना है कि यह आरोपी एक संगठित अपराध में लिप्त नजर आ रहा है.
नागपुरः मध्यभारत के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सक्रीय नक्सल गतिविधियों को नागपुर के विशेष सत्र न्यायालय के एक फैसले के कारण तगड़ा झटका लगा है. नक्सलियों तक पहुंचाने के लिए ट्रेन में हथियार ले जाते वक्त एटीएस द्वारा नागपुर रेलवे स्टेशन पर पकड़े गए.
बिहार निवासी व्यक्ति पर सामान्य फौजदारी प्रकरण चलाने से न्यायालय ने इनकार कर दिया है. न्यायलय ने माना है कि यह आरोपी एक संगठित अपराध में लिप्त नजर आ रहा है. उस पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मुकदमा चलान जरूरी है. न्यायाधीश एम.एस.आजमी ने विशेष सरकारी वकील पी.सत्यनाथन की उस दलील को सही माना है, जिसमें उन्होंने आरोपी पर मकोका की कार्रवाई को जरूरी बताया था.
ऐसे पकड़ा गया था
एटीएस के अनुसार 24 जनवरी 2019 को सुपन सिंह (50, बिहार) अपने साथी संजय खरे के साथ बरौनी-सिकंदराबाद एक्सप्रेस में अपने साथ खतरनाक हथियार लेकर आ रहा था. ये हथियार नक्सलियों के लिए थे. ताकि इनकी मदद से नक्सली अपने इरादों को अंजाम दे सके.
नागपुर रेलवे स्टेशन पर जाल बिछा कर इन आरोपियों को पकड़ा गया. तलाशी में इनके पास से देसी पिस्तौल, कार्टेज और खाली मैगजीन बरामद हुईं. जांच में पता चला कि संजय खरे शेख हाजी बाबा शेख सरवर की गैंग का सदस्य है. ऐसे में पुलिस ने उक्त सिंह पर भी महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) लगाया.
खुद को गैंग का सदस्य नहीं मान रहा था
मकोका की धाराएं लगाए जाने के खिलाफ आरोपी ने कोर्ट की शरण ली थी. उसके वकील ने कोर्ट में दलील दी कि सिंह का ऐसा कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है कि जिससे उसे गैंग के साथ मिला हुआ आदतन अपराधी माना जा सके. इस मामले में मकोका नहीं बल्कि फौजदारी की अन्य धाराओं में मामला बनना चाहिए.
इसकी सुनवाई भी विशेष अदालत नहीं बल्कि नियमित फौजदारी कोर्ट में चलनी चाहिए. लेकिन मामले में विशेष सरकारी वकील पी.सत्यनाथन ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कोर्ट को बताया कि ये हथियार कुख्यात अपराधी हाजी बाबा के लिए ले जाए जा रहे थे.
उस पर कई मामले दर्ज है. ऐसे अपराधियों की मदद करने वाले नए अपराधियों पर भी मकोका लगता है. डल्लू सरदार और प्रेम यादव प्रकरण में हाईकोर्ट ने इसे मान्य भी किया है. मामले में सरकारी पक्ष की दलीलों को सही करार देते हुए न्यायालय ने आरोपी पर से मकोका हटाने से इनकार करते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी.