पति या पत्नी में से किसी को मिर्गी की बीमारी होना क्रूरता नहीं है,हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का आधार नहीं है, बम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने कहा- लाइलाज बीमारी नहीं...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 27, 2023 05:31 PM2023-09-27T17:31:10+5:302023-09-27T17:31:54+5:30

न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति एस ए मेनेजेस की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने आदेश में 33 वर्षीय एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने अपनी पत्नी से क्रूरता के आधार पर तलाक का अनुरोध किया था।

Nagpur bench of Bombay High Court said Epilepsy either spouse is not cruelty not ground divorce Hindu Marriage Act neither terminal illness nor can it be considered mental disorder | पति या पत्नी में से किसी को मिर्गी की बीमारी होना क्रूरता नहीं है,हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का आधार नहीं है, बम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने कहा- लाइलाज बीमारी नहीं...

सांकेतिक फोटो

Highlights पत्नी मिर्गी से पीड़ित है, जिसके कारण वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है।यह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का आधार बने।क्रूरता है और इसलिए वह उसके साथ नहीं रह सकता।

मुंबईः बम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने कहा है कि पति या पत्नी में से किसी एक को मिर्गी की बीमारी होना क्रूरता नहीं है और यह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का आधार नहीं है, क्योंकि मिर्गी न तो लाइलाज बीमारी है और न ही इसे मानसिक विकार माना जा सकता है।

न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति एस ए मेनेजेस की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने आदेश में 33 वर्षीय एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने अपनी पत्नी से क्रूरता के आधार पर तलाक का अनुरोध किया था। व्यक्ति ने दावा किया था कि उसकी पत्नी मिर्गी से पीड़ित है, जिसके कारण वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मिर्गी ‘‘न तो लाइलाज बीमारी है और न ही इसे मानसिक विकार या मनोरोग माना जा सकता है, जिससे कि यह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का आधार बने। व्यक्ति ने अपनी याचिका में कहा कि उसकी पत्नी मिर्गी से पीड़ित है, जिसके कारण वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है, जो क्रूरता है और इसलिए वह उसके साथ नहीं रह सकता।

व्यक्ति ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1) (3) के तहत तलाक का अनुरोध किया था। महिला ने याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि उसे दौरे पड़ते हैं लेकिन इसका उसके मानसिक स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं है। व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि वह यह साबित करने में विफल रहा है कि उससे अलग रह रही उसकी पत्नी मिर्गी से पीड़ित है या यदि वह इससे पीड़ित है भी, तो भी इसे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1) के तहत तलाक मांगने का एक आधार नहीं माना जा सकता।

उच्च न्यायालय ने कहा कि चिकित्सा साक्ष्य के अनुसार, मिर्गी से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। उसने कहा कि इसके अनुसार महिला को केवल दौरे आते हैं, वह मिर्गी से पीड़ित नहीं है और अगर यह मान भी लिया जाए कि वह मिर्गी से पीड़ित है, तो भी यह "निश्चित रूप से एक मानसिक विकार या मनोरोग नहीं कि प्रतिवादी को लाइलाज या मानसिक रूप से अस्वस्थ माना जाए।

अदालत ने कहा कि चिकित्सीय साक्ष्य से पता चलता है कि वर्तमान मामले में महिला मिर्गी से पीड़ित नहीं है। अदालत ने कहा, ‘‘हमारी राय है कि इसको लेकर पर्याप्त चिकित्सीय साक्ष्य हैं कि ऐसी स्थिति याचिकाकर्ता के इस रुख को सही नहीं ठहरा सकती कि यह स्थिति पति-पत्नी के एकसाथ रहने में बाधक है।’’

Web Title: Nagpur bench of Bombay High Court said Epilepsy either spouse is not cruelty not ground divorce Hindu Marriage Act neither terminal illness nor can it be considered mental disorder

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