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नवाद लपिड का दावा, "राजनीतिक दबाव में 'कश्मीर फाइल्स' को दी गई अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में जगह", विवादित टिप्पणी के लिए मांगी माफी

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: December 1, 2022 10:47 IST

53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के जूरी अध्यक्ष नवाद लपिड ने दावा किया है कि कश्मीर हिंसा पर बनी निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में केवल इस कारण जगह दी गई क्योंकि इसके लिए राजनीतिक दबाव था।

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ठळक मुद्देफिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' पर विवादित दिप्पणी करने के लिए नवाद लपिड ने जताया खेद लपिड ने कहा कि मेरी ऐसी मंशा नहीं थी कि कश्मीर हिंसा के पीड़ितों का अपमान करूंलपिड ने दावा किया कि फिल्म को राजनीतिक दबाव के करण फेस्टिवल में शामिल किया गया था

दिल्ली: 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के जूरी अध्यक्ष और इजराइली फिल्मकार नवाद लपिड ने भारतीय फिल्म 'कश्मीर फाइल्स' के बारे में की गई अपनी आधिकारिक टिप्पणी पर यह कहते हुए माफी मांगी है कि अगर उनके कथन से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो वह उसके लिए खेद प्रगट करते हैं। लेकिन इसके साथ ही फिल्मकार लपिड ने एक सनसनीखेज दावा करते हुए इस विवाद को शांत करने की बजाय इसे और भड़का दिया है।

नवाद लपिड ने समाचार चैनल सीएनएन न्यूज 18 के साथ बात करते हुए दावा किया है कि कश्मीर हिंसा पर बनी निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स को अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में केवल इस कारण जगह दी गई क्योंकि इसके लिए राजनीतिक दबाव था। लपिड का दावा है कि फेस्टिवल के आयोजक राजनीतिक दबाव के शिकार हुए इस कारण उन्होंने 'द कश्मीर फाइल्स' को पैनल में शामिल किया।

इसके साथ ही नवाद लपिड ने कहा कि फेस्टिवल में जूरी अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने फिल्म के बारे में अपनी राय सार्वजनिक मंच पर रखी लेकिन यदि मेरी सोच या फिल्म के बारे में व्यक्त किये गये विचार से अनजाने में किसी भी समुदाय को ठेस पहुंची है तो उसके लिए मैं खेद प्रगट करता हूं, मेरी मंशा इस करह की बिल्कुल नहीं थी कि कश्मीर हिंसा के पीड़ितों या उनके परिजनों का अपमान करूं।

समाचार चैनल के साथ अपने बातचीत में लपिड ने कहा कि उन्हें पता चला कि द कश्मीर फाइल्स को 'राजनीतिक दबाव' के कारण फेस्टिवल में शामिल किया गया था और उन्होंने फिल्म देखने के बाद ऐसा महसूस किया कि उन्हें इसके खिलाफ बोलना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें पता चला है कि राजनीतिक दबाव के कारण फिल्म को फेस्टिवल में शामिल किया गया था। निश्चित तौर पर फिल्म में दिखाई गई कहानियों से भारतीयों का अगल जुड़ाव है लेकिन एक विदेशी नागरिक के रूप में मैंने जिस तरीके से फिल्म को पाया। मेरा दायित्व था कि मैं उन चीजों को लोगों के सामने रखूं, हो सकता है कि फिल्म की सराहना करने वालों के लिए वह एक कठिन समय रहा होगा, जब मैंने फिल्म के बारे में अपनी राय पेश की।"

इस पूरे विवाद के विषय में जूरी की सहभागिता बताते हुए लपिड ने दावा किया कि उनके साथी जूरी के अन्य सदस्य भी फिल्म के बारे में उसी रुख पर कायम थे, जो उन्होंने अपने नोट में कहा था। हालांकि फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के निर्माता सुदीप्तो सेन का कहना है कि लपिड ने केवल व्यक्तिगत तौर पर फिल्म की आलोचना की है और जूरी के अन्य सदस्य उनके उस बर्ताव से सहमत नहीं थे।

वहीं लपिड ने बातचीत के दौरान इस बात का दावा किया कि उन्हें भारत में फिल्म से संबंधित लोगों सहित अन्य तमाम लोगों के सैकड़ों मैसेज और ईमेल मिले, जिन्होंने लपिड के विचारों का समर्थन किया और कहा कि वो इस बात से काफी प्रसन्न हैं कि आखिरकार उन्होंने फिल्म के बारे में वही बातें कही, जिन पर वो विश्वास करते हैं।

टॅग्स :द कश्मीर फाइल्सगोवाभारत सरकारइजराइल
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