पटना, 05 अगस्त: मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह में हुए रेप केस के का मामला अब सियासी रूप ले चुका है। इस मामले को लेकर तेजस्वी यादव ने शुरू ही सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा है।यहां बालिका गृह में रहने वाली 42 में से 34 लड़कियों के चिकित्सकीय परीक्षण में उनके साथ यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है। एनजीओ 'सेवा संकल्प एवं विकास समिति' द्वारा चलाए जा रहे बालिका गृह का मालिक बृजेश ठाकुर इस मामले में मुख्य आरोपी है। इस मामले में 31 मई को 11 लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ठाकुर समेत 10 लोगों को तीन जून को गिरफ्तार किया गया था। एक व्यक्ति फरार है। शुरू से ही इस मामले में विपक्षी दलों का रुख हमलावर रहा है।लेकिन राज्यपाल सत्यपाल मलिक के दखल देकर थोड़ा चौका दिया है।
गौरतलब है कि बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मुजफ्फरपुर जिला स्थित एक बालिका गृह में 34 लडकियों के यौन शोषण मामले को 'दिल दहला देने वाला' और 'मानवता पर धब्बा' बताया और साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाए।राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने राज्य पोषित ऐसे आश्रय गृहों में रहने वाली पीड़ित लडकियों और महिलाओं को जल्द सुनवाई के लिए त्वरित अदालतों का गठन किए जाने के साथ इस संबंध में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन को भी पत्र लिखा है। राज्यपाल ने हालांकि मुजफ्फरपुर बालिका यौन उत्पीडन मामले में राज्य सरकार द्वारा की गयी त्वरित कार्रवाई और इसे सीबीआई को सौंपने के फैसले की प्रशंसा भी की है।
मुख्यमंत्री को लिखे एक अन्य पत्र में राज्यपाल ने ऐसे अन्य अल्पावास गृहों में कुप्रबंधन को लेकर मीडिया में आयी रिपोर्ट की तत्काल और गहन जांच तथा उनकी सतत निगरानी के लिए एक तंत्र विकसित किए जाने को कहा है। राज्यपाल ने इन आश्रय गृहों के नियमित और स्थायी आधार पर एक संस्थागत तंत्र को विकसित किए जाने की भी आवश्यकता पर बल दिया है।
राज्यपाल ने भी मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की इसको लेकर की गयी सिफारिशों को भी लागू करने को कहा है। बिहार सरकार द्वारा प्रदेश के सभी आश्रय गृहों का हाल में सामाजिक अंकेक्षण कराया गया था जिसमें मुजफ्फरपुर बालिका गृह का मामला प्रकाश में आया था।राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कुमार से इसको लेकर बुद्धिजीवी वर्ग से सुझाव प्राप्त करने को भी कहा है। राज्यपाल द्वारा लिखे इस पत्र को लेकर एक जदयू नेता ने कहा कि राजभवन को कलम उठाने पर मजबूर किया गया। यह पटकथा पहले खुद लिखी गई है।उन्होंने आगे कहा कि हो सकता है कि यह पटकथा दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में लिखी गई हो।
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