मुस्लिम महिलाओं को नमाज के लिए मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति होती है: AIMPLB ने न्यायालय से कहा

By भाषा | Updated: January 29, 2020 22:43 IST2020-01-29T22:43:23+5:302020-01-29T22:43:38+5:30

जनहित याचिका में मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गयी। इस पर प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ विचार करेगी।

Muslim women allowed to enter mosques for namaz: AIMPLB told court | मुस्लिम महिलाओं को नमाज के लिए मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति होती है: AIMPLB ने न्यायालय से कहा

सुप्रीम कोर्ट की इमारत। (फाइल फोटो)

Highlightsऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि मुस्लिम महिलाओं को पुरुषों की तरह ही नमाज के लिए मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति होती है।यास्मीन जुबेर अहमद पीरजादा की जनहित याचिका पर एआईएमपीएलबी का यह जवाब आया।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि मुस्लिम महिलाओं को पुरुषों की तरह ही नमाज के लिए मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति होती है। यास्मीन जुबेर अहमद पीरजादा की जनहित याचिका पर एआईएमपीएलबी का यह जवाब आया।

जनहित याचिका में मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गयी। इस पर प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ विचार करेगी। पीठ अनेक धर्मों में तथा केरल के सबरीमला मंदिर समेत धर्मस्थलों पर महिलाओं के साथ भेदभाव से संबंधित कानूनी और संवैधानिक मुद्दों पर विचार कर रही है।

एआईएमपीएलबी के सचिव मोहम्मद फजलुर्रहीम ने वकील एम आर शमशाद के माध्यम से दाखिल अपने हलफनामे में कहा, ‘‘धार्मिक पाठों, शिक्षाओं और इस्लाम के अनुयायियों की धार्मिक आस्थाओं पर विचार करते हुए यह बात कही जा रही है कि मस्जिद के भीतर नमाज अदा करने के लिए महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश की अनुमति है। अत: कोई मुस्लिम महिला नमाज के लिए मस्जिद में प्रवेश के लिए स्वतंत्र है। उसके पास मस्जिद में नमाज के लिए उपलब्ध इस तरह की सुविधाओं का लाभ उठाने के उसके अधिकार का उपयोग करने का विकल्प है।’’

इसमें कहा गया, ‘‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस संबंध में किसी विरोधाभासी धार्मिक विचार पर टिप्पणी नहीं करना चाहता।’’

हलफनामे के अनुसार इस्लाम में मुस्लिम महिलाओं के लिए जमात के साथ नमाज पढ़ना अनिवार्य नहीं है और ना ही जमात के साथ जुमे की नमाज में शामिल होना उनके लिए अनिवार्य है जो कि मुस्लिम पुरुषों के लिए अनिवार्य है।

इसमें कहा गया, ‘‘मुस्लिम महिलाओं को अलग स्थान दिया गया है क्योंकि इस्लाम की शिक्षाओं के अनुसार उन्हें मस्जिद या घर पर जहां चाहें वहां नमाज पढ़ने पर उतना ही धार्मिक सवाब (पुण्य) मिलेगा।’’

शीर्ष अदालत ने मंगलवार को कहा था कि नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ दस दिन के अंदर मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश, दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में महिलाओं का खतना आदि से संबंधित प्रश्नों पर सुनवाई करेगी।

एआईएमपीएलबी की दलील थी कि धार्मिक आस्थाओं पर आधारित प्रथाओं के सवालों पर विचार करना शीर्ष अदालत के लिए उचित नहीं है।

Web Title: Muslim women allowed to enter mosques for namaz: AIMPLB told court

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