समान नागरिक संहिता के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया प्रस्ताव पारित, इसके लागू करने को बताया 'अनावश्यक'

By रुस्तम राणा | Updated: February 5, 2023 21:39 IST2023-02-05T21:23:31+5:302023-02-05T21:39:55+5:30

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बात पर जोर दिया गया कि 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को "बनाए रखा और अच्छी तरह से लागू" किया जाना चाहिए। इस में धर्मांतरण के मुद्दे पर धर्म की स्वतंत्रता पर भी जोर दिया है।

Muslim Personal Board passes resolution against Uniform Civil Code, says 'unnecessary' | समान नागरिक संहिता के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया प्रस्ताव पारित, इसके लागू करने को बताया 'अनावश्यक'

समान नागरिक संहिता के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया प्रस्ताव पारित, इसके लागू करने को बताया 'अनावश्यक'

Highlightsमुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक महत्वपूर्ण बैठक हुईबैठक में अधिकारियों ने यूसीसी और ज्ञानवापी विवाद सहित कई मुद्दों पर चर्चा कीबोर्ड ने असम सरकार से बाल विवाह अधिनियम के तहत पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी को रोकने का आग्रह किया

लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने समान नागरिक संहिता के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। बोर्ड ने शुक्रवार को बैठक में यूसीसी के खिलाफ प्रस्ताव को पास किया है। साथ ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसके कार्यान्वयन को अनावश्यक बताया है। बोर्ड ने इस बात पर जोर दिया गया कि 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को "बनाए रखा और अच्छी तरह से लागू" किया जाना चाहिए। इस में धर्मांतरण के मुद्दे पर धर्म की स्वतंत्रता पर भी जोर दिया है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई।  जहां बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और ज्ञानवापी विवाद सहित कई मुद्दों पर चर्चा की। बैठक के दौरान आरोप लगाया कि सरकारों ने दोषी साबित होने से पहले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के घरों को तोड़ दिया।

बोर्ड ने असम सरकार से बाल विवाह अधिनियम के तहत पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी को रोकने का आग्रह किया। विशेष रूप से, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि राज्य पुलिस द्वारा शुरू किया गया बाल विवाह के खिलाफ अभियान 2026 में अगले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा। 

बोर्ड ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर चर्चा की और कहा कि मौलिक अधिकार सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं और समान नागरिक संहिता लाने से नागरिक संविधान द्वारा उन्हें दिए गए विशेषाधिकारों से वंचित हो जाएंगे। बोर्ड ने एक विज्ञप्ति में कहा, "भारत जैसे बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहु-भाषी देश के लिए ऐसा कोड न तो प्रासंगिक है और न ही फायदेमंद है।"

Web Title: Muslim Personal Board passes resolution against Uniform Civil Code, says 'unnecessary'

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