मुंबई: बीएमसी कोविड सेंटर घोटाले की जांच में ईडी की निगाह पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर पर, पूछताछ के लिए दे सकती है नोटिस

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 25, 2023 03:14 PM2023-06-25T15:14:23+5:302023-06-25T15:23:31+5:30

बीएमसी कोविड सेंटर के कथित घोटाले में ईडी तत्कालीन मेयर किशोरी पेडनेकर की भूमिका को परखने के लिए उन्हें पूछताछ के लिए बुला सकता है।

Mumbai: ED eyeing former Mayor Kishori Pednekar in BMC Covid Center scam investigation, may summon for questioning | मुंबई: बीएमसी कोविड सेंटर घोटाले की जांच में ईडी की निगाह पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर पर, पूछताछ के लिए दे सकती है नोटिस

मुंबई: बीएमसी कोविड सेंटर घोटाले की जांच में ईडी की निगाह पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर पर, पूछताछ के लिए दे सकती है नोटिस

Highlightsईडी बीएमसी कोविड सेंटर घोटाले में तत्कालीन मेयर किशोरी पेडनेकर को कर सकता है तलबजांच एजेंसी मामले में पूर्व मेयर पेडनेकर की भूमिका तलाशने के लिए कह सकती है पेशी होने के लिएईडी ने मामले में शिवसेना यूबीटी के नेता आदित्य ठाकरे के करीबी सूरज चव्हाण को लिया है रडार पर

मुंबई:बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के कोविड सेंटर में हुए कथित घोटाले में जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की निगाहें अब मुंबई की तत्कालीन मेयर और शिवसेना (यूबीटी) नेता किशोरी पेडनेकर की ओर घुम गई है। खबरों के मुताबिक जांच एजेंसी जल्द ही मामले में पूर्व मेयर से पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर सकती है।

खबरों के अनुसार ईडी तत्कालीन उद्धव सरकार के नेताओं से जुड़ी संदिग्ध फर्मों को कोविड काल में विभिन्न चिकित्सकीय उपकरणों की आपूर्ति के ठेके देने में पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर की भूमिका को परखने के लिए उन्हें पूछताछ के लिए बुलाने पर विचार कर रहा है। इससे पूर्व मामले में ईडी ने शिवसेना यूबीटी के वरिष्ठ नेता आदित्य ठाकरे के करीबी सूरज चव्हाण को कोविड काल में 10 करोड़ रुपये के चार फ्लैट खरीदने के मामले में संदिग्ध पाते हुए रडार पर लिया था।

ईडी को चव्हाण के खिलाफ जांच में ठेकेदारों, आपूर्तिकर्ताओं, राजनेताओं और बीएमसी अधिकारियों के साथ कथित तौर पर किए गए व्हाट्सएप चैट, संदिग्ध डायरियां और नकदी लेनदेन का विवरण मिला है। चव्हाण के संबंध में कथिततौर पर दावा किया जा रहा है कि उनके लाइफलाइन अस्पताल प्रबंधन के साथ कथित संबंध डेटा से जानकारी मिल रही है कि वो इस घोटाले में शामिल हो सकते हैं।

दरअसल इस मामले का खुलासा उस वक्त हुआ, जब नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी 146 पेज की रिपोर्ट में महामारी के दौरान 13 जंबो कोविड ​​​​केंद्रों, 24 वार्ड कार्यालयों और 30 अस्पतालों में 12,000 करोड़ रुपये की कथित अनियमितताओं को उजागर किया था। मामले की प्रारंभिक जांच में पता चला कि बिना किसी पूर्व अनुभव वाले विक्रेताओं से बढ़े हुए दाम पर कोरोना पीपीई किट, दस्ताने, मास्क, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन आपूर्ति की आपातकालीन खरीद में भारी अनियमितताएं की गई हैं।

इस संबंध में ईडी के एक अदिकारी ने कहा कि बीएमसी कोविड घोटाले की जांच में इकट्ठा किये गये दस्तावेजों और बिचौलियों के व्हाट्सएप चैट से साबित होता है कि बीएमसी में नौकरशाहों और राजनीतिक नेताओं के बीच कोविड ​​​​महामारी के दौरान अवैध तरीके से मोटा मुनाफा बनाया गया। इतना ही नहीं ठेकेदारों के एक सिंडिकेट को फायदा पहुंचाने के लिए कोविड संबंधी महत्वपूर्ण सामानों की आपूर्ति की कीमतें बाजार दर से कई गुना तक बढ़ा दी गईं और आपत्तियों के बावजूद उन्हें खरीदने की मंजूरी दे दी गई है।

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