केंद्रीय विद्यालयों में अब सांसद कोटा से नहीं हो सकेगा दाखिला, लगाई गई रोक; ऐसे बच्चों को दी जाएगी प्राथमिकता
By विनीत कुमार | Published: April 15, 2022 07:52 AM2022-04-15T07:52:43+5:302022-04-15T07:57:16+5:30
केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटे से दाखिले पर रोक लगा दी गई है। इससे पहले हर सांसद के पास 10 सीटों का कोटा रहता था। कई सांसदों को भी इस संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
नई दिल्ली: देश भर के केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में सांसद कोटे से दाखिले पर फिलहाल सरकार की ओर से रोक लगा दी गई है। हर सांसद के पास केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के लिए 10 सीटों का कोटा रहता था। ऐसे में 7800 से ज्यादा सीटों पर सांसदों के जरिए दाखिला हो सकता था। हालांकि अब इस व्यवस्था पर रोक रहेगी। इससे पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कोटा पिछले साल खत्म किया जा चुका है। इसके तहत 450 विद्यार्थियों को दाखिला देने की व्यवस्था थी।
सूत्रों के मुताबिक सरकार इस पूरे मामले पर एक समिति गठित कर इसे तर्कसंगत बनाने के उपाय करेगी। इसलिए तत्काल प्रभाव से फिलहाल सांसदों के कोटे पर रोक लगाई गई है। केंद्रीय विद्यालय में कुछ अन्य संस्थाओं और पदाधिकारियों के भी कोटे हैं, इन पर भी फिलहाल रोक रहेगी। कोटा भविष्य में फिर बहाल होगा या नहीं, इस बारे में फिलहाल कुछ भी साफ नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा कई सांसदों को यह जानकारी उपलब्ध कराई गई है कि अब वे सांसद कोटा के तहत दाखिले के लिए सिफारिश न भेजें।
पिछले साल सुशील मोदी ने राज्य सभा में उठाया था विषय
केवी में सांसदों का कोट खत्म करने की बात पिछले साल भी चर्चा में आई थी। भाजपा के सांसद सुशील मोदी ने केंद्रीय विद्यालयों के दाखिले में सांसदों का कोटा समाप्त किए जाने की मांग उठाई। उन्होंने दावा किया कि यह कोटा ही कई सांसदों के हारने का कारण बन रहा है।
सुशील कुमार मोदी ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि जब नवोदय विद्याालयों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में सांसदों को दाखिले का अधिकार नहीं है तो केंद्रीय विद्यालयों में यह अधिकार क्यों दिया गया है।
उन्होंने कहा था कि एक-एक सांसद के पास हजार दो हजार लोग दाखिले के लिए आग्रह लेकर आते हैं लेकिन वह केवल 10 लोगों को ही खुश कर पाते हैं। इसकी वजह से लोगों में सांसद के प्रति नाराजगी बढ़ जाती है।
कोरोना से माता-पिता को खोने वाले बच्चों को प्राथमिकता
इस बीच केंद्रीय विद्यालय संगठन ने फैसला किया है कि इस बार उन छात्रों को प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा, जिन्होंने कोरोना महामारी की वजह से अपने माता-पिता को खो दिया है। इस वर्ष कक्षा एक से 12वीं तक किसी भी कक्षा के लिए सभी केंद्रीय विद्यालय में इस नियम का पालन किया जाएगा।