मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल के गठन के बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. कमलनाथ के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री का भार संभालने वाले तरुण भनोट की शिक्षा को लेकर अब पार्टी की आलोचना हो रही है. तरुण भनोट 12 वीं पास हैं और इंजीनियरिंग ड्राप आउट हैं.
एडीआर की वेबसाइट Myneta.info पर भनोट की शिक्षा 12 वीं तक दिखाई गई है. साथ ही ये भी दर्शाया गया है कि भनोट ने 1992 में पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लिया था, लेकिन उन्होंने 2 साल में ही इसे छोड़ दिया, जबकि यह कोर्स 4 वर्षों का होता है.
ऐसा कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन सिंह को वित्त मंत्रालय बनाना चाहते थे. लेकिन प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई. उन्हें लगा कि इससे जयवर्धन सिंह का कद बहुत बढ़ जायेगा और उनकी आड़ में दिग्विजय सिंह सीधे सरकार में दखलंदाजी देंगे.
ऐसे में यह मामला राहुल गांधी के पास पहुंचा. उन्होंने अहमद पटेल को इस मामले को सुलझाने को कहा. पटेल ने इसके बाद वित्त मंत्री के लिए तरुण भनोट का नाम आगे किया. इसके पहले उन्हें नगरीय विकास मंत्री का जिम्मा मिलना था. तरुण भनोट को कमलनाथ का करीबी माना जाता है.
इससे पहले मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह के बाद भी ऐसे कई नेता खुलकर सामने आये थे जिन्होंने खुल कर अपने सरकार की आलोचना की थी. चुने गए विधायक राजवर्धन सिंह ने खुद के सिंधिया समर्थक होने की बात कही और दावा किया कि उन्हें टिकट सिंधिया ने दी अब जब उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया तो वे सिंधिया को अपना इस्तीफा सौंप देंगे. इतना ही नहीं दत्तीगांव ने साफ कहा कि वे किसी मंत्री या वरिष्ठ नेता के पुत्र नहीं है, इसके लिए उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया.
किसी भी सरकार में वित्त मंत्री का विभाग काफी अहम जिम्मा होता है. लेकिन भारतीय राजनीति में अनपढ़ नेताओं को जातीय समीकरण का ध्यान रखते हुए अहम जिम्मेदारियां मिलती रही हैं.तरुण भनोट इसके मात्र एक उदाहरण भर हैं.
इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने 8 वीं पास विधायक को शिक्षा मंत्री बनाया था. लेकिन इस केस में खुद राहुल गांधी और अहमद पटेल शामिल थे, ऐसे में इस फैसले पर सरकार की किरकिरी होना तय है.