एमपी चुनावः इन 7 क्षेत्रों में बीजेपी पर मंडरा रहा है हार का खतरा, शिवराज सिंह के पत्नी-बेटे को यहां से 'भगा' चुके हैं लोग

By शिवअनुराग पटैरया | Updated: November 23, 2018 05:35 IST2018-11-23T05:34:21+5:302018-11-23T05:35:13+5:30

अरुण यादव को अंतिम समय में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुकाबले खड़ा किया है. इस विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री 4 बार चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन इस बार का चुनाव उनके लिए चुनौती पूर्ण बन गया है.

MP Election: 7 crucial area where cong & BJP both are tries to win | एमपी चुनावः इन 7 क्षेत्रों में बीजेपी पर मंडरा रहा है हार का खतरा, शिवराज सिंह के पत्नी-बेटे को यहां से 'भगा' चुके हैं लोग

एमपी चुनावः इन 7 क्षेत्रों में बीजेपी पर मंडरा रहा है हार का खतरा, शिवराज सिंह के पत्नी-बेटे को यहां से 'भगा' चुके हैं लोग

मध्यप्रदेश में भले ही 230 विधानसभा क्षेत्रों के लिए आने वाले 28 नवंबर को मतदान होना हो, लेकिन  कई ऐसे चुनावी क्षेत्र हैं जहां दिग्गज उलझ गए हैं. किसी को अपनी पारिवारिक सीट बचाने की फिक्र है, तो कोई चुनौतियों के भंवरजाल में है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर, पूर्व राज्यसभा सदस्य सत्यव्रत चतुर्वेदी के बागी होकर चुनाव लड़ रहे बेटे नितिन चतुव्रेदी और कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय दिलचस्प चुनावी मुकाबलों में फंसे हुए हैं.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य की राजधानी भोपाल के समीपवर्ती बुधनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उनका सीधा मुकाबला पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के प्रत्याशी अरुण यादव से है. मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह  राहुल अपने पारिवारिक और पारंपरिक विधानसभा क्षेत्र चुरहट से मैदान में हैं. वे इस विधानसभा क्षेत्र से 6 बार निर्वाचित हो चुके हैं. उनका यहां सीधा मुकाबला भाजपा के सरदेंदु तिवारी से है. पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा भोजपुर में कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को चुनौती दे रहे हैं.

नर्मदापुरम् संभाग के मुख्यालय के होशंगाबाद के विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह के बीच मुकाबला है. सरताज सिंह बागी होकर कांग्रेस के प्रत्याशी हो गए हैं. राजधानी के गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के स्थान पर उनकी पुत्रवधू कृष्णा गौर हैं. उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस के गिरीश शर्मा से है. छतरपुर जिले के राजनगर विधानसभा क्षेत्र में सपा प्रत्याशी और कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य नितिन चतुव्रेदी त्रिकोणीय मुकाबले में हैं.

उनका मुकाबला कांग्रेस के विक्रम सिंह नातीराजा और भाजपा के अरविंद पटेरिया से है. इंदौर-3 विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के अखिल भारतीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय का मुकाबला कांग्रेस के अश्वनी जोशी से है. वे पूर्व मंत्री महेश जोशी के भतीजे हैं. यहां कैलाश विजयवर्गीय और महेश जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

बुधनी: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के करीबी विधानसभा क्षेत्र बुधनी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सीधा मुकाबला कांग्रेस के अरुण यादव से है. अरुण यादव को अंतिम समय में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुकाबले खड़ा किया है. इस विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री 4 बार चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन इस बार का चुनाव उनके लिए चुनौती पूर्ण बन गया है.

प्रारंभ में मुख्यमंत्री के लिए बाकुवर लगने वाले इस चुनाव के कठिन होने के पीछे यह कारण माना जा रहा है कि पिछले कुछ समय से अजरुन आर्य नामक एक सक्रिय कार्यकर्ता ने जो जनआंदोलन खड़ा किया था उसका लाभ कांग्रेस प्रत्याशी को मिल रहा है. दरअसल, इस इलाके में रेत के व्यवसाय से जुड़े तमाम लोगों के कारण नाराजगी है. जिसका खामियाजा मुख्यमंत्री के समर्थकों को आम लोगों की नाराजगी के तौर पर ङोलना पड़ रहा है.

इस विधानसभा क्षेत्र के लोगों को फा है कि मुख्यमंत्री उनके विधानसभा क्षेत्र से चुने जाते हैं लेकिन नौकरी, सड़क, पानी जैसे मुद्दों को लेकर जनआक्रोश है जिसका सामान मुख्यमंत्री की पत्नी साधना और उनके बेटे कार्तिकेय सिंह को भी करना पड़ा. दोनों के ही वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए हैं.

चुरहट: मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र का यह विधानसभा पारंपरिक तौर पर  पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन सिंह का पारंपरिक क्षेत्र रहा है. इस विधानसभा क्षेत्र से सबसे पहले अजय सिंह 1985 में उप चुनाव के जरिए चुने गए थे. वे यहां से अब तक 6 बार चुने जा चुके हैं. जातिगत राजनीति के गढ़ माने जाने वाले विंध्य प्रदेश के विधानसभा क्षेत्र की यह खासियत है कि यहां सामान्य वर्ग के मतदाताओं में ब्राह्मण वोटर बहुतायत में हैं.

इस क्षेत्र में लगभग 2 लाख मतदाता हैं. जिनमें सर्वाधिक मतदाता पिछड़ा, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के आते हैं. इस क्षेत्र से सबसे पहले अजरुन सिंह 1977 में विधायक बने थे. उनके बाद उनके बेटे ने 1985 से चुरहट के राजनीति की कमान संभाल ली. यहां अजय सिंह का मुकाबला भाजपा के सरदेंदु तिवारी से है.

भोजपुर: राजधानी भोपाल के करीबी भोजपुर विधानसभा क्षेत्र को भोजपुर के प्रसिद्ध शिव मंदिर के कारण पहचाना जाता है. यहां पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और भाजपा के सुरेंद्र पटवा के बीच सीधा मुकाबला है. लगभग 2 दशकों से इस विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा ने लगातार अपना कब्जा बनाए रखा. 2013 में सुरेंद्र पटवा के चुनाव जीतने के पूर्व यहां से उनके चाचा और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने लगातार कई चुनाव जीते.

भाजपा के इस गढ़ को तोड़ने के लिए कांग्रेस ने सुरेश पचौरी को मैदान में उतारा है. वे इसी क्षेत्र के मूल निवासी हैं. जबकि सुरेंद्र पटवा का कारोबार इंदौर में केंद्रित है. सुरेंद्र पटवा को इस बार चुनाव में पचौरी की तरफ से कड़ी टक्कर मिल रही है. दरअसल उनके सामने बड़ी दिक्कत यह है सुंदरलाल पटवा इस दुनिया में रहे नहीं इसलिए सुरेंद्र पटवा को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में कोई लिहाज नहीं है. वहीं, सुरेश पचौरी एक मंङो हुए नेता के तौर पर सबको साधने में लगे हैं. सुरेंद्र पटवा की दूसरी बड़ी मुसीबत यह है कि पिछले दिनों  34 करोड़ के बैंक ऋण को लेकर डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया था. इसको कांग्रेस ने मुद्दा बना लिया है.

होशंगाबाद: होशंगाबाद विधानसभा क्षेत्र में मप्र विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा को अपनी ही पार्टी में रहे और अब कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह से कड़ी चुनौती मिल रही है. दरअसल, भाजपा ने उम्र को पैमाना बताते हुए मप्र में जिन नेताओं को टिकट नहीं दिए उनमें सरताज सिंह भी एक हैं. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने तो बागी तेवर दिखाकर अपने स्थान पर अपनी बहू को भोजपुर का प्रत्याशी बना दिया.

पर सरताज सिंह के बागी तेवर काम नहीं आए. जब भाजपा ने उन्हें टिकट से इनकार कर दिया तो वे पार्टी छोड़कर कांग्रेस के प्रत्याशी बन गए. विधानसभा अध्यक्ष डॉ. शर्मा जहां एक रसूखदार परिवार से तालुक रखते हैं, वहीं सरताज सिंह की छवि एक ऐसे नेता के तौर पर है, जिसकी दलीय सीमाओं को तोड़कर प्रतिष्ठा है. उनकी लोकप्रियता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने होशंगाबाद क्षेत्र से अजरुन सिंह जैसे नेता को भी पराजित किया था, जिसके बाद अटल सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था.

गोविंदपुरा: मप्र की राजधानी भोपाल के गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर का मुकाबला कांग्रेस के गिरीश शर्मा से है. भाजपा इस क्षेत्र से 10 बार विधायक रहे बाबूलाल गौर का टिकट काटकर किसी दूसरे को प्रत्याशी बनाना चाह रही थी लेकिन गौर ने बागी तेवर दिखाते हुए जब खुद और अपनी बहू कृष्णा गौर को अलग-अलग स्थानों से चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो भारी कशमकश के बाद भाजपा ने कृष्णा गौर को प्रत्याशी बनाया.

कृष्णा गौर के प्रत्याशी बनते ही भाजपा के एक वर्ग ने परिवारवाद का जिक्र कर प्रदर्शन भी किया. यहां कृष्णा गौर को असंतुष्ट भाजपाइयों के असहयोग का शिकार होना पड़ रहा है. 

राघौगढ़: मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पारंपरिक क्षेत्र गुना जिले के राघौगढ़ से उनके बेटे मैदान में हैं. यहां उनका मुकाबला भाजपा के भूपेंद्र रघुवंशी से है. अमेरिका से पढ़ाई-लिखाई कर लौटे जयवर्धन सिंह को ‘जेबी’ के निक नेम से पुकारा जाता है. विलायत में पढ़ाई-लिखाई कर भारत लौटे जयवर्धन सिंह को उनके पिता की विरासत का साथ और सहारा है.

इस क्षेत्र से उनके पिता दिग्विजय सिंह पिछले कई विधानसभा चुनावों में जीतते आ रहे हैं. दिग्विजय सिंह ने इस इलाके में राजनीति की कुछ ऐसी शैली विकसित की कि दूसरे राजनीतिक दल को विकसित या पनपने की कोई गुंजाइश नहीं मिली. यहां सवाल यह नहीं है कि जयवर्धन जीतेंगे बल्कि सवाल यह है कि कितने वोटों से जीतेंगे.

इंदौर-3 : मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर-3 से भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय का मुकाबला कांग्रेस के अश्वनी जोशी से है. अश्वनी जोशी ने इसी इलाके से अब तक दो चुनाव लड़े जिनमें वे 2013 का विधानसभा भाजपा की उषा ठाकुर से लगभग 13 हजार वोटों से हार गए थे. वे एक जमाने में इंदौर से सबसे ताकतवर रहे नेता महेश जोशी के भतीजे हैं.

इस क्षेत्र से आकाश विजयवर्गीय के बहाने कैलाश विजयवर्गीय की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वे भले ही क्षेत्र में प्रचार करने के लिए न आ रहे हों पर चुनावी अभियान की पूरी कमान उनके हाथ में है. इसलिए उन्होंने मैदान में भाजपा के एक भी बागी को खड़ा नहीं रहने दिया. उनके रिश्ते में दामाद ललित पोरवाल का भी नामांकन, नाम वापसी के आखिरी रोज कैलाश विजयवर्गीय की पत्नी ने अपने साथ ले जाकर वापस करवा दिया था.

Web Title: MP Election: 7 crucial area where cong & BJP both are tries to win

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