कांग्रेस के निशाने पर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस
एमपी के नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को तत्काल हटाने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं । नेता प्रतिपक्ष ने डाक मत पत्रों में हेर फेर के मामले में मुख्य सचिव की भूमिका पर भी सवाल उठाएं है। नेता प्रतिपादित गोविंद सिंह ने कहा कि मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को तत्काल हटाया जाना चाहिए। बालाघाट मत पत्रों में हेर फेर और भिंड में पोस्टल बैलेट पेपर में हेर फेर की शिकायत पर बड़ी कार्रवाई नहीं होने से नाराज नेता प्रतिपक्ष ने अब मुख्य सचिव को निशाने पर लिया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा है की पोस्टल बैलेट पेपर में हेर फेर के वीडियो सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि बड़े पैमाने पर गड़बड़िया की गई है। कांग्रेस पार्टी इन सब मामलों को लेकर चिंतन कर रही है और पार्टी के नेताओं के बाद जल्दी कोई बड़ा कदम उठाया जाएगा। लेकिन मुख्य सचिव के संरक्षण में चुनाव प्रभावित करने का आरोप नेता प्रतिपक्ष ने लगाया है।
सीएस बैस का दो दिन बाद खत्म हो रहा कार्यकाल
मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के रिटायरमेंट के बाद सेवा वृद्धि का आदेश जारी हुआ था उसके तहत 2 दिन बाद मुख्य सचिव का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। लेकिन मुख्य सचिव की सेवा वृद्धि से लेकर इकबाल सिंह बेस के पद पर बने रहने को लेकर अब कांग्रेस हमलावर नजर आ रही है।
कांग्रेस के चुनाव आयोग से सवाल
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने बालाघाट में पोस्टल बैलेट पेपर से छेड़छाड़ मामले पर चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाए हैं । कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के के मिश्रा ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से सवाल पूछा है क्या डाक मत पत्रों की गणना 3 दिसंबर को सुबह 8:00 बजे से होनी है तो बालाघाट में 27 नवंबर को स्ट्रांग रूम कैसे खोला गया। इसको लेकर किसके निर्देश थे। जिले के कलेक्टर आरओ कह रहे हैं कि कांग्रेस को कुछ कंफ्यूजन है तो नोडल अफ़सर को सस्पेंड क्यों किया गया । असली दोषी तो वही कलेक्टर है जिनको जांच सौपी गई है। स्थानीय एसडीएम का कहना कि स्ट्रांग रूम सारे राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में खोला जाता है । क्या ये आयोग के नियमों के अनुरूप है। क्या आयोग इससे सहमत है। क्या चुनाव में सत्ता पक्ष को परोक्ष रूप से लाभ पहुंचाया जा रहा है । कांग्रेस ने इस बात को लेकर भी आयोग से सवाल पूछा है कि जब विपक्षी दलों की तरफ से 350 से ज्यादा शिकायतें प्रमाण के साथ की गई है तो उन पर अब तक एक्शन क्यों नहीं हुआ। मतदान दिवस के दिन हुई हिंसा को लेकर एक्शन क्यों नहीं लिया गया। जिन जिलों में प्रशासनिक अफसर ने भाजपा के पक्ष में काम किया उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। मतदान दिवस पर चुनाव ड्यूटी में लगे सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों को डाक पत्र ना देना और उन्हें मत अधिकार से वंचित करना करने वाले कम क्यों उठाए गए। कांग्रेस ने प्रदेश हुए विधानसभा चुनाव के बाद नतीजे के ठीक पहले प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए प्रशासनिक मुखिया से लेकर चुनाव आयोग तक की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। मतलब साफ है की पोस्टल बैलट पेपर को लेकर गूंजा मामला जल्द शांत होने वाला नहीं है ।