मप्र उपचुनाव: कमल नाथ के स्टार प्रचारक दर्जे पर आयोग के फैसले को न्यायालय ने स्थगित किया

By भाषा | Updated: November 2, 2020 19:38 IST2020-11-02T19:38:57+5:302020-11-02T19:38:57+5:30

MP by-election: Court adjourns the Commission's decision on Kamal Nath's star campaigner status | मप्र उपचुनाव: कमल नाथ के स्टार प्रचारक दर्जे पर आयोग के फैसले को न्यायालय ने स्थगित किया

मप्र उपचुनाव: कमल नाथ के स्टार प्रचारक दर्जे पर आयोग के फैसले को न्यायालय ने स्थगित किया

नयी दिल्ली, दो नवंबर उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिये पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा वापस लेने के निर्वाचन आयोग के आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ से निर्वाचन आयोग के वकील ने कहा कि कमलनाथ की याचिका अब निरर्थक हो गयी है क्योंकि इन सीटों के लिये चुनाव प्रचार बंद हो गया है और वहां मंगलवार को मतदान है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर रोक लगा रहे हैं।’’

शीर्ष अदालत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा वापस लेने के निर्वाचन आयोग के 30 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

चुनाव में स्टार प्रचारकों का खर्च राजनीतिक दल वहन करता है, जबकि दूसरे प्रचारकों का खर्च प्रत्याशी को वहन करना होता है।

शीर्ष अदालत ने कमल नाथ कि याचिका पर निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है और उससे जवाब मांगा है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाये। अगले आदेश तक निर्वाचन आयोग के 30 अक्टूबर, 2020 के आदेश पर रोक रहेगी।’’

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग का आदेश निरस्त करने की मांग के साथ ही न्यायालय से अनुरोध किया है कि संविधान में प्रदत्त बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार और लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव को ध्यान में रखते हुये स्टार प्रचारकों या प्रचारकों द्वारा चुनाव के दौरान दिये जाने वाले भाषणों के बारे में उचित दिशा-निर्देश बनाये जायें।

इस मामले की विडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘‘यह याचिका अब निरर्थक हो गयी है क्योंकि प्रचार खत्म हो चुका है, मतदान कल है।’’

कमलनाथ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा ने कहा कि यह मामला निरर्थक नहीं हुआ है क्योंकि आयोग ने 30 अक्टूबर का आदेश देने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री को कोई नोटिस नहीं दिया था।

पीठ ने आयोग के अधिवक्ता से सवाल किया, ‘‘आप यह निर्णय कैसे कर सकते हैं कि कौन उनका नेता है? यह निर्वाचन आयोग का नहीं बल्कि उनका अधिकार है।’’

द्विवेदी ने कहा, ‘‘हमने आदर्श आचार संहिता के तहत कार्रवाई की है और वैसे भी अब यह मामला निरर्थक हो चुका है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘इससे फर्क नहीं पड़ता कि मामला अब निरर्थक हो चुका है या नहीं। हम यह निर्णय करेंगे कि आपको यह अधिकार कहां से मिला।’’

द्विवेदी ने जब यह कहा कि अगर न्यायालय को इस पहलू पर निर्णय करना है तो आयोग के आदेश पर रोक नहीं लगाई जाये। पीठ ने कहा, ‘‘नहीं, हम इस पर रोक लगा रहे हैं।’’

कमलनाथ इस समय मप्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं और उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि आयोग ने उनका पक्ष सुने बगैर ही 13 अक्टूबर के उनके भाषण के खिलाफ भाजपा की शिकायत के आधार पर ही आदेश पारित कर दिया है।

कमल नाथ ने याचिका में कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग का आदेश अवैध, मनमाना, अकारण और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए।’’

कमलनाथ ने कहा कि आयोग ने 30 अक्टूबर के आदेश के जरिये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची से उनका नाम इस आधार पर हटा दिया कि उन्होंने आदर्श आचार संहिता और आयोग के परामर्शों का बार-बार उल्लंघन किया है।

याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग द्वारा मप्र के 12 जिलों में 29 सितंबर को 28 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा के दिन से ही आदर्श आचार संहिता लागू है।

याचिका में सार्वजनिक महत्व के अनेक कानूनी सवाल उठाये गये हैं। इसमे यह सवाल भी शामिल है कि क्या निर्वाचन आयोग ने कमल नाथ का बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार खत्म कर दिया है।

आयोग ने अपने आदेश में मप्र के मुख्मंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ उनकी टिप्पणियों का हवाला दिया था। उन्होंने हाल ही में चुनाव प्रचार के दोरान अपने एक विरोधी राजनीतिक दल के खिलाफ ‘माफिया’ और ‘मिलावटखोर’ शब्दों का इस्तेमाल किया था।

निर्वाचन आयोग ने पिछले सप्ताह ही कमलनाथ को सलाह दी थी कि प्रचार के दौरान ‘आइटम’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल नही करें। उन्होंने एक चुनाव सभा के दौरान राज्य की मंत्री और भाजपा की प्रत्याशी इमरती देवी के बारे में इस तरह का बयान दिया था।

Web Title: MP by-election: Court adjourns the Commission's decision on Kamal Nath's star campaigner status

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